कर्नाटक: बेंगलुरू में कोरोना का तांडव, श्मशान घाटोें पर एंबुलेंस की कतारें, दिन-रात जल रही लाशें
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कर्नाटक के बेंगलुरू में सात कोविड श्मशान घाट दिन-रात चालू हैं. यह हाल पिछले तीन सप्ताह से है. शनिवार को एक श्मशान घाट को मरम्मत के लिए बंद किया गया था.
कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप देशभर में जारी है. कोरोना से हो रही मौतों के चलते श्मशान घाट पर लाशों की संख्या बढ़ती जा रही है. यह किसी एक राज्य का हाल नहीं है. देश के अलग-अलग राज्यो में श्मशान घाट पर लंबी कतारें लग रही हैं. कुछ ऐसा ही हाल कर्नाटक के बेंगलुरू में भी है. बेंगलुरु के तवारेकेरे में का नजारा वीभत्स है. यहां के श्मशान के पास से गुजरने पर कई चिताएं जलती नजर आती हैं. यहां श्मशान घाट पर काम करने वाले लोगों के पास थोड़ी फुर्सत नहीं है. यहां एक के बाद एक एंबुलेंस लाशों के साथ पहुंचती रहती हैं. शहर में सात कोविड श्मशान घाट दिन रात चालू हैं. यह हाल पिछले तीन सप्ताह से है. शनिवार को एक श्मशान घाट को मरम्मत के लिए बंद किया गया था.नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
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