
ऑपरेशन सिंदूर पर राजनीति देश को कौन कौन रंग दिखाने वाली है?
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ऑपरेशन सिंदूर पर शुरू हुई राजनीति गहरी होती जा रही है. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और ममता बनर्जी खुलकर सामने हैं, जबकि बीजेपी की तरफ से रास्ता दिखाने के बावजूद सतर्कता बरतने की कोशिश हो रही है. अगला पड़ाव संसद है जहां विपक्ष चाहता है कि बिहार चुनाव से पहले बहस हो, और पूरा देश भी देखे.
ऑपरेशन सिंदूर पर राजनीति तो बहुत पहले ही शुरू हो चुकी थी, अब उसके नये नये रंग दिखाई दे रहे हैं. करीब करीब वैसे ही जैसे उरी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर हुआ था, और 2019 के आम चुनाव से पहले पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक पर - और वही रवायत नये तरीके से बिहार चुनाव से पहले नजर आ रही है.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो खुलकर खेलने लगे हैं, लेकिन बीजेपी में अभी वैसी आक्रामकता नहीं देखने को मिली है जैसी पुलवामा हमले के बाद देखी गई थी. विपक्ष को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश तो शुरू से ही है, लेकिन डर ये है कि कहीं लेने के देने न पड़ जायें.
अयोध्या आंदोलन के जरिये केंद्र की सत्ता तक पहुंच जाने वाली बीजेपी को राम मंदिर उद्घाटन के बाद अयोध्या की हार से बहुत बड़ा सबक मिला है. और, यही वजह है कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले ही जाति जनगणना के लिए भी तैयार हो गई है.
बीजेपी अपनी तरफ से ऑपरेशन सिंदूर को पूरी तरह राजनीतिक रंग दिये जाने से रोकने का प्रयास तो कर रही है, लेकिन ऐन उसी वक्त विपक्ष के लिए प्रेरणास्रोत भी बन जाती है.
ऑपरेशन सिंदूर पर सियासत चल पड़ी है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पश्चिम बंगाल दौरे के कुछ ही देर बाद ममता बनर्जी ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर खूब खरी खोटी सुनाई थी - और टेलीप्रॉम्पटर के साथ बहस करने, और तत्काल प्रभाव से विधानसभा का चुनाव तक करा लेने की चुनौती दी थी.

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