'एक देश एक चुनाव' की तैयारी तेज, पूर्व राष्ट्रपति कोविंद से मिले कानून मंत्रालय के टॉप अधिकारी
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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने की जांच करने और सिफारिशें करने के लिए उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख हैं. सरकार ने शनिवार को आठ सदस्यीय समिति को अधिसूचित किया था. इसको लेकर कानून मंत्रालय के टॉप अधिकारियों ने उनसे मुलाकात की.
एक देश और एक चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. इस संबंध में केंद्रीय कानून मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने रविवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात की और उन्हें ब्रीफिंग दी. दरअसल, कोविंद लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने की जांच करने और सिफारिशें करने के लिए उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख हैं. सरकार ने शनिवार को आठ सदस्यीय समिति को अधिसूचित किया था.
मामले की जानकारी देते हुए कानून सचिव नितेन चंद्रा, विधायी सचिव रीता वशिष्ठ और अन्य ने रविवार दोपहर को कोविंद से मुलाकात की और समिति के एजेंडे के बारे में जानकारी साझा की.
इस सवाल का जवाब देते हुए कि सरकार ने उच्च स्तरीय समिति के सदस्यों के नामों की घोषणा करने के लिए 'संकल्प' क्यों जारी किया, एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय मिसालों का पालन कर रहा है. चुनावों के राज्य वित्त पोषण पर इंद्रजीत गुप्ता समिति का गठन एक प्रस्ताव के माध्यम से किया गया था. केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अपनाए गए एक प्रस्ताव द्वारा हर तीन साल में विधि आयोग का पुनर्गठन भी किया जाता है.
सरकार ने शनिवार को जारी किया था प्रस्ताव
शनिवार को जारी प्रस्ताव के अनुसार, 1951-52 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव ज्यादातर एक साथ होते थे, जिसके बाद यह सिलसिला टूट गया और अब, लगभग हर साल और एक साल के भीतर भी अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जिसके चलते बड़े पैमाने पर खर्चा होता है. अलग-अलग समय पर चुनावों के कारण सुरक्षा बलों और अन्य चुनाव अधिकारियों को भी अपने प्राथमिक ड्यूटी से लंबे समय तक अलग कार्यों में व्यस्त होना पड़ता है.
प्रस्ताव में कहा गया कि "राष्ट्रीय हित" में देश में एक साथ चुनाव होना चाहिए. बार-बार होने वाले मतदान से आदर्श आचार संहिता के लंबे समय तक लागू रहने के कारण विकास कार्य बाधित होते हैं. इसमें विधि आयोग और संसदीय पैनल की रिपोर्टों का हवाला दिया गया, जिन्होंने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव के विचार का समर्थन किया था.
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