
एक गरीब फारसी तेल व्यापारी का बेटा कैसे बना भारत में कोहिनूर की खान का मालिक, ये है पूरी कहानी
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टेलर स्विफ्ट (Taylor Swift) ने जब अपनी सगाई के बाद हीरे की अंगूठी पब्लिक की. उस वक्त दुनिया का ध्यान फिर से भारत की मशहूर गोलकुंडा की हीरा खानों की ओर गया. कोहिनूर, जो दुनिया का सबसे मशहूर और कीमती हीरा है, कभी इन्हीं गोलकुंडा की खानों से निकला था. इसे फारस (पर्शिया) का आक्रांता नादिर शाह यहां से लूटकर ले गया था. लेकिन उससे लगभग 150 साल पहले, एक फ़ारसी तेल व्यापारी का बेटा मीर जुमला (Mir Jumla), औरंगज़ेब की मदद करके गोलकुंडा की खानों का शासक बन बैठा था. वही खानें, जहां से कोहिनूर निकला था.
"कोह-ए-नूर!" (मतलब रोशनी का पहाड़)... ऐसा कहा जाता है कि नादिर शाह ने 1739 में ये शब्द कहे थे. ये वो दौर था जब वो भारत लूट रहा था और दिल्ली में मुगल बादशाह मोहम्मद शाह की पगड़ी में छुपा ये हीरा उसके हाथ लग गया. उसी दिन भारत से कोहिनूर ही नहीं बल्कि मोर सिंहासन और मुगल खजाना भी फारस ले जाया गया.
फारस यानी आज का ईरान, यहां से ये हीरा काबुल पहुंचा, फिर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के हाथ लगा. रणजीत सिंह इसे पुरी के जगन्नाथ मंदिर को दान करना चाहते थे लेकिन उससे पहले ही ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे उनके बेटे दलीप सिंह से 1843 में ये छीन लिया और ऐसे कोहिनूर ब्रिटिश क्राउन तक पहुंच गया.
दुनिया का ये सबसे चर्चित और विवादित हीरा, जिसे भारत में विजय का प्रतीक कहा गया, आंध्र प्रदेश की गोलकुंडा की खानों से निकला था. लेकिन इन खानों का फारस से एक और पुराना रिश्ता भी है. नादिर शाह के भारत पर हमले से 150 साल पहले, फारस का एक गरीब तेल व्यापारी का बेटा यहां आकर गोलकुंडा की खानों और हीरे के कारोबार पर राज करने लगा था. 1591 में इस्फहान (फ़ारस) में जन्मे इस लड़के का नाम मीर जुमला था. बाद में वही औरंगज़ेब का वजीर-ए-आज़म बना.
टेलर स्विफ्ट की सगाई की अंगूठी, जो ट्रैविस केल्स ने पहनाई, एक 'ओल्ड माइन कट डायमंड' बताई जा रही है और ऐसी संभावना है कि ये भारत या ब्राज़ील की पुरानी खानों से आई हो.
गोलकुंडा की इन्हीं खानों से निकला कोहिनूर, जिसे नादिर शाह दिल्ली से लूटकर अपने साथ फ़ारस ले गया था. स्विफ्ट की अंगूठी ने गोलकुंडा खानों का इतिहास फिर से ताजा कर दिया है और उसी से जुड़ी एक भूली-बिसरी कड़ी यानी मीर जुमला की कहानी फिर से सामने आई है. वही मीर जुमला, जिसने अपनी सूझबूझ, राजनीतिक चालों और घूसखोरी से गोलकुंडा की खानों और कोहिनूर के ठिकाने पर कब्जा कर लिया था.
मीर जुमला की कहानी एक गरीब लड़के से ताकतवर हुक्मरान बनने की है. वो क्लर्क से शुरू होकर व्यापारी बना, फिर सेनापति, फिर कर्नाटक का गवर्नर, बंगाल का विजेता और आखिरकार असम अभियान से लौटते वक्त उसकी मौत हो गई.

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