
उल्टा पड़ा ट्रंप का दांव... टैरिफ खुद अमेरिका पर भारी, एक्सपर्ट ने कहा- US की जनता भुगत रही खामियाजा
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Donald Trump के टैरिफ का असर दूसरे देशों के साथ ही खुद अमेरिकी अर्थव्यस्था पर भी दिखाई दे रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट ने इसे US Economy के लिए निगेटिव बताया है.
डोनाल्ड ट्रंप ने किसी देश पर 25%, तो भारत और ब्राजील जैसे देशों पर 50% का हाई टैरिफ लगाया है, लेकिन उनका ये कदम खुद अमेरिका के लिए ही परेशानी का सबब बनता जा रहा है. दुनियाभर के तमाम दिग्गज इकोनॉमिस्ट ने इसकी आलोचना की है. अब IMF की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ भी इसमें शामिल हो गई हैं. उन्होंने कहा है कि US Tariff के छह महीने के बाद भी इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिला है और अमेरिका में जो राजस्व बढ़ा है, वो खुद अमेरिकी जनता और यहां की कंपनियों से ही लिया गया है.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर निगेटिव असर ट्रंप टैरिफ के चलते दुनिया में ट्रेड वॉर जैसी स्थिति बनी है. फिर बात चाहे चीन के साथ व्यापार युद्ध की हो, या फिर ब्राजील जैसे देशों की. भारत के बारे में देखें, तो ट्रंप ने पहले 25% टैरिफ का ऐलान किया और फिर रूसी तेल खरीद को मुद्दा बनाते हुए इसे दोगुना करते हुए 50% कर दिया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया के तमाम देशों पर टैरिफ लगाकर आखिर अमेरिका को क्या हासिल हुआ? तो इसे लेकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ ने बड़ा दावा किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए कहा कि इसका निगेटिव असर खुद US Economy पर ही हुआ है.
US के ग्राहकों-कंपनियों पर बढ़ा बोझ गीता गोपीनाथ ने अपनी एक्स पोस्ट में कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप को टैरिफ का ऐलान किए छह महीने से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन इसका कोई खास नतीजा नहीं निकल सका है. उन्होंने लिखा, 'अमेरिका के टैरिफ से क्या हासिल हुआ? क्या सरकार के लिए राजस्व बढ़ा? हां, काफी बढ़ा, लेकिन यह पैसा करीब-करीब पूरी तरह से अमेरिकी कंपनियों से ही वसूला गया और कुछ हद तक इसकी भरपाई अमेरिकी उपभोक्ताओं से की गई. कुल मिलकार ट्रंप का टैरिफ इनके लिए एक टैक्स जैसा ही साबित हुआ.
It is 6 months since "Liberation day" tariffs. What have US tariffs accomplished? 1. Raise revenue for government? Yes. Quite substantially. Borne almost entirely by US firms and passed on some to US consumers. So it has worked like a tax on US firms/consumers. 2. Raise… pic.twitter.com/KZG3UgKB3S
टैरिफ से सुधार के कोई संकेत नहीं IMF की पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने टैरिफ की आलोचना करते हुए कहा कि ये सीधे तौर पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए निगेटिव स्कोरकार्ड रहा है. भारत और ब्राजील से आयात पर 50% तक, और कुछ भारतीय दवाओं पर तो 100% तक टैरिफ घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और व्यापार संतुलन में सुधार लाने के लिए थे. लेकिन इसका अमेरिका को बहुत कम या कोई आर्थिक लाभ नहीं हुआ है. उन्होंने लिखा कि न तो व्यापार संतुलन में सुधार और न ही अमेरिका विनिर्माण क्षेत्र में इसके पॉजिटिव असर का कोई संकेत मिला है.
उल्टा महंगाई में कर दिया इजाफा गीता गोपीनाथ ने टैरिफ के चलते अमेरिका में महंगाई दर को लेकर कहा कि इसके लागू होने के बाद से देश में महंगाई में थोड़ा इजाफा देखने को मिला है. खासतौर पर घरेलू उपकरणों, फर्नीचर, कॉफी जैसी चीजों के दाम में बढ़ोतरी देखने को मिली है. गोपीनाथ ही नहीं, बल्कि दुनिया के तमाम एक्सपर्ट्स ने भी अपने-अपने तरीके से ट्रंप के टैरिफ की आलोचना की है और इसे खुद अमेरिका के लिए खराब करार दिया है.

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