ईद पर लाउडस्पीकर लगाने पर सहमति, फिर आधी रात पथराव... जानें जोधपुर में कैसे बढ़ा बवाल
AajTak
राजस्थान के जोधपुर में ईद पर भड़की हिंसा पर सियासत तेज हो गई है. इस झगड़े की शुरुआत झंडे और लाउडस्पीकर लगाए जाने से हुई. आधी रात के समय भी पथराव हुआ था. फिर सुबह आज बवाल भड़क उठा.
Jodhpur Violence: भाईचारे का प्रतीक माने जाने वाले ईद के दिन राजस्थान का जोधपुर शहर सुलग उठा. जोधपुर में ईद की नमाज के बाद झड़प हुई. बड़ी तादाद में उपद्रवी सड़कों पर उतर आए और गाड़ियों में आग लगा दी. दुकानों में भी तोड़फोड़ की गई और लोगों के साथ मारपीट की घटनाएं भी हुईं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाईलेवल मीटिंग कर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.
सूबे के गृह मंत्री को भी सीएम ने जोधपुर जाने के निर्देश दिए हैं. भारतीय जनता पार्टी ने सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गहलोत सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया और कहा कि सीएम का अपना शहर जल रहा था और वे अपने जन्मदिन का जश्न मना रहे थे. जोधपुरी हिंसा को लेकर सूबे की सियासत भी गर्म होती नजर आ रही है. आइए, नजर डालते हैं इस हिंसा की शुरुआत से लेकर अब तक के घटनाक्रम पर...
> जोधपुर के जालोरी गेट पर दो दिन पहले परशुराम जयंती पर भगवा झंडा लगा था.
> 2 मई की शाम प्रशासन की मीटिंग में बाजार में तय हुआ कि 3 मई को ईद है और इसलिए यहां हर साल की तरह ईद मनाने दी जाए. ईद पर मुसलमान हर साल की तरह झंडा और लाउडस्पीकर लगाएंगे. यह परमिशन एक दिन के लिए थी और बीजेपी के नेताओं और नगर निगम ने भी इसे लेकर सहमति जताई.
> 2 मई की शाम 7 बजे चांद-तारे लगे ईद के झंडे और लाउडस्पीकर लगा दिए गए.
> रात को शहर में अफवाह फैली की पाकिस्तान के झंडे लग गए हैं. दो निजी चैनल के पत्रकार मौके पर गए.
नायडू पहली बार 1995 में मुख्यमंत्री बने और उसके बाद दो और कार्यकाल पूरे किए. मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले दो कार्यकाल संयुक्त आंध्र प्रदेश के नेतृत्व में थे, जो 1995 में शुरू हुए और 2004 में समाप्त हुए. तीसरा कार्यकाल राज्य के विभाजन के बाद आया. 2014 में नायडू विभाजित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उभरे और 2019 तक इस पद पर रहे. वे 2019 का चुनाव हार गए और 2024 तक विपक्ष के नेता बने रहे.
जम्मू-कश्मीर के रियासी में हुए आतंकी हमले में 10 लोगों की जान गई. इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. इन पाकिस्तानी आतंकवादियों की पहचान तक हो चुकी है. उनके नाम अब्बू, हमजा और फौजी. इनके चेहरे कैमरे पर कैद हुए हैं. ये वो सबूत हैं, जो चीख-चीखकर कह रहे हैं कि रियासी के हमले में पाकिस्तान का ही हाथ था.