
'ईद के लिए जैसी भक्ति दिखाई, काश राम मंदिर...', CM हिमंत बिस्वा सरमा का गौरव गोगोई पर कटाक्ष
AajTak
असम के मुख्यमंत्री ने हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत हमारे नेता लोगों को ईद के मौके पर बधाई देते हैं. ईद, क्रिसमस और पूजा उत्सव के अवसर हैं और हमें इस पर कुछ नहीं कहना है कि इसे कौन और कैसे मना रहा है. मुझे ईद से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जो सम्मान गौरव के मन में ईद के लिए है, वही राम मंदिर के लिए भी होनी चाहिए.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने धर्म से जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस नेता गौरव गोगोई के दोहरे रुख को लेकर उन पर जोरदार जुबानी हमला बोला है. सीएम सरमा ने सवाल किया कि गौरव गोगोई ने अयोध्या मंदिर में प्रतिष्ठा समारोह के दौरान वैसा धार्मिक उत्साह क्यों नहीं दिखाया, जैसा कि ईद के मौके पर उन्होंने दिखाया? बता दें कि इस साल 21 जनवरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन गौरव गोगोई नगांव में राहुल गांधी के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. वहीं ईद के दिन वह नमाज पढ़ रहे थे.
हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, 'अखिल गोगोई और गौरव गोगोई ने शिवसागर में नमाज अदा की. गौरव को नमाज पढ़ने की सही मुद्रा मालूम है. मुझे नहीं पता कि उन्होंने यह कहां से सीखा है. लेकिन यहां एक सवाल है कि जिस तरह की निष्ठा उन्होंने ईद को लेकर दिखाई है, वैसी भक्ति उन्होंने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान क्यों नहीं दिखाई? जब प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी तो वह असम की सड़कों पर राहुल गांधी के बगल में रहते हुए प्रशासन से लड़ रहे थे और कानून तोड़ रहे थे.'
तुष्टीकरण से नहीं सुलझेंगे असमिया मुसलमानों के मुद्दे: CM सरमा
असम के मुख्यमंत्री ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत हमारे नेता लोगों को ईद के मौके पर बधाई देते हैं. ईद, क्रिसमस और पूजा उत्सव के अवसर हैं और हमें इस पर कुछ नहीं कहना है कि इसे कौन और कैसे मना रहा है. मुझे ईद से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जो सम्मान गौरव के मन में ईद के लिए है, वही राम मंदिर के लिए भी होनी चाहिए.' सरमा ने आगे कहा कि असमिया मुसलमानों के मुद्दों को 'तुष्टीकरण की राजनीति' के जरिए नहीं बल्कि सरकारी नौकरियां, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके और बाल विवाह के खिलाफ बोलकर हल किया जा सकता है.
'राम मंदिर उद्घाटन में भाग नहीं लेकर गौरव ने किया गंभीर पाप'
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, 'गौरव गोगोई ने राम मंदिर उद्घाटन के कार्यक्रम में भाग नहीं लेकर बल्कि नगांव में विरोध प्रदर्शन के लिए राहुल गांधी का साथ देकर गंभीर पाप किया है. वह एक तरफ नमाज अदा कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ वह राम मंदिर के उद्घाटन वाले दिन विरोध प्रदर्शन करते नजर आते हैं.' सरमा पर पलटवार करते हुए, गौरव गोगोई ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा शंकरदेव के सिद्धांतों का 'अपमान' करने के विरोध में 22 जनवरी को नंगाव में बटाद्रवा थान का दौरा किया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को रूसी भाषा में भगवद गीता का एक विशेष संस्करण भेंट किया है. इससे पहले, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को भी गीता का संस्करण दिया जा चुका है. यह भेंट भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को साझा करने का प्रतीक है, जो विश्व के नेताओं के बीच मित्रता और सम्मान को दर्शाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कई अनोखे और खास तोहफे भेंट किए हैं. इनमें असम की प्रसिद्ध ब्लैक टी, सुंदर सिल्वर का टी सेट, सिल्वर होर्स, मार्बल से बना चेस सेट, कश्मीरी केसर और श्रीमद्भगवदगीता की रूसी भाषा में एक प्रति शामिल है. इन विशेष तोहफों के जरिए भारत और रूस के बीच गहरे संबंधों को दर्शाया गया है.

चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन बयानों को प्रमुखता दी, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया है. पुतिन ने कहा कि रूस को दोनों देशों के आपसी रिश्तों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं. चीन ने पुतिन की भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह नतीजों पर नजर रखे हुए है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार रात डिनर का आयोजन किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डिनर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया. इसके बावजूद कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को बुलाया गया.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.







