इजरायल-हमास के बीच सीजफायर में असल बात कुछ और है
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इज़रायल हमास की बमबारी के बीच एक बड़ी डील डन हो गई है. डील तो बताएंगे ही साथ ही इसके इंपैक्ट पर बात भी करनी है. राजस्थान में सीएम गद्दी के दावेदार रहे सचिन पायलट क्या इन चुनावों में भी उतनी भागदौड़ कर रहे हैं जितनी पहले कर रहे थे, इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं. जब दुनिया रोज़ ज़्यादा प्रोग्रेसिव हो रही है तब आईसीसी ने ट्रांसजेंडर्स की एंट्री महिला क्रिकेट टीम में बैन कर दी. क्यों हुआ ऐसा और महीने के अंत में COP28 के मेंबर्स सिर जोड़कर फिर बैठनेवाले हैं. लेकिन क्लाइमेट बचाने वाले इस ग्रुप ने जो पिछले साल तय किया था वो पूरा भी हो सका, सुनिए 'दिन भर' में नितिन ठाकुर से.
कभी G20, तो कभी ब्रिक्स प्लस, पिछले कुछ महीनों में जब भी अंतराष्ट्रीय सम्मेलन हुए, एक मुद्दा हर टेबल पर उठा, इज़रायल हमास वॉर. आज इस घटनाक्रम ने नया मोड़ लिया. एक डील डन हो गई. डील भी वो जिसका इंतज़ार सिर्फ इज़रायल- फिलिस्तीन के आम लोगों को नहीं बल्कि दुनिया के हर अमन पसंद शहरी को था. दोनों पक्ष सीज़फायर के लिए राज़ी हो गए हैं. टाइम्स ऑफ इज़रायल के मुताबिक इज़रायली संसद नेसेट ने सीजफायर को मंजूरी दे दी है. डील कुछ यूं है कि जिन लोगों को हमास ने बंधक बनाया, उन्हें छोड़ने के बदले इज़रायल गोलीबारी बंद कर देगा. अभी डिसाइड हुआ है कि 50 बंधकों की रिहाई के बदले इज़रायल 4 दिनों तक अपने तोप बंदूकों को आराम दिए रहेगा. उसके बाद हर 10 बंधकों को छोड़े जाने पर सीज़फायर एक एक दिन बढ़ता जाएगा. न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि इस डील के तहत इजराइल भी 150 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा कर देगा. इनमें महिलाओं और बच्चों को प्रायोरिटी मिलेगी.
इतने दिनों से युद्ध में संलिप्त इज़रायल और हमास, एक कदम भी पीछे हटने को तैयार नहीं थे. अमेरिका की तरफ से एंटनी ब्लिंकेन ने युद्ध को रोकने के लिए मिडल ईस्ट के कई चक्कर लगाए लेकिन नेतन्याहू टस से मस नहीं हुए. फिर अचानक क्या हुआ कि सीज़फायर पर बात बन गई, सुनिए 'दिन भर' में,
पायलट के लोगों का 'दुख' कांग्रेस पर भारी पड़ेगा? राजस्थान विधान सभा के लिए वोटिंग में अब गिनकर सिर्फ 3 दिन बाकी है. कल प्रचार की मियाद खत्म हो जाएगी. काँग्रेस नेता सचिन पायलट भी इस चुनावी प्रचार का ज़ाहिर तौर पर हैं. इसी सिलसिले में वो आज अपने साथियों के साथ संगरिया , हनुमानगढ़ पहुंचे. वोटर्स से आमने सामने हुए.
सचिन पायलट, जो आज बढ़चढ़कर पार्टी का मोर्चा संभालें हुए नज़र आए, महीनों पहले तक अशोक गहलोत से भिड़े हुए थे. सुगबुगाहट तो ये भी थी कि सिंधिया की तरह पायलट भी कहीं बीजेपी के न हो जाएं. लेकिन फिर पार्टी आलाकमान मलिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने दोनों नेताओं को कुछ ऐसी घुट्टी दी कि कम से कम वो चुनाव प्रचार के लिए साथ आने को राज़ी हुए,
राजस्थान में सचिन पायलट ने जब 2018 में पार्टी की कमान संभाली थी तो उनकी छवि एक गुज्जर नेता के तौर पर बनी थी.. और क्योंकि उस वक्त लग रहा था देर सवेर पायलट सीएम बनेगे तो उनके साथी गुज्जर नेताओं ने पायलट का भरपूर सपोर्ट भी किया लेकिन वो साल दूसरा था ये साल दूसरा है. रूठने मनाने की लंबी प्रक्रिया के बाद वो फिर प्रचार में उतरे हैं लेकिन क्या पहले की तरह एक्टिव भी हैं? क्या उनकी भागीदारी में 2018 वाली शिद्दत है या फिर गहलोत से रंजिश का भी कुछ असर रहा? सुनिए 'दिन भर' में,
जम्मू के रियासी जिला अस्पताल में आतंकी हमले के बाल बच्चे भर्ती हैं. इन मासूम बच्चों को देखकर किसी का भी कलेजा फट सकता है. आतंकवादियों ने जो बर्बरता की है, उसके प्रमाण आप देख सकते हैं. श्रद्धालुओं ने जब आतंकवादी हमले की कहानी सुनाई, तो दिल दहल गया. आप उन आतंकवादियों की बर्बरता का अंदाजा नहीं लगा सकते.
महाराष्ट्र के ठाणे में ठगों ने यूपी पुलिस का अधिकारी बनकर एक कारोबारी को करीब 20 लाख रुपये का चूना लगा दिया. ठगों ने कारोबारी को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंसाने की धमकी दी थी और गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसों की मांग की थी. पैसे देने के बाद जब कारोबारी ने लखनऊ में फोन कर यूपी पुलिस थाने में जानकारी ली तो उसे पता चला कि उसके खिलाफ कोई केस ही नहीं है.