
आतंकी हमलों में कोई नाम नहीं, फिर क्यों क्यूबा को US ने डाल दिया कुख्यात लिस्ट में, अब क्या बदल सकता है?
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कई बड़े फैसले ले सकते हैं, जिनमें से एक है क्यूबा को आतंक को बढ़ावा देने वाले देशों की लिस्ट से हटाना. अस्सी के दशक से ये द्वीप देश यूएस के गुस्से का शिकार रहा. ये अलग बात है कि क्यूबा को खुद अमेरिका ने आजादी दिलाई थी, लेकिन बाद में वही इसपर अधिकार चाहने लगा.
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से ऐन पहले मौजूदा बाइडेन सरकार कई फैसले ले सकती है. सुगबुगाहट है कि जो बाइडेन क्यूबा पर से आतंक फैलाने वाले देश का धब्बा मिटा सकते हैं. वैसे इस निर्णय पर आखिरी ठप्पा लगाएगी ट्रंप सरकार. ट्रंप फिलहाल पनामा, कनाडा और ग्रीनलैंड को लेकर जिस तरह से हक जता रहे हैं, लगता नहीं कि क्यूबा को कोई राहत मिल सकेगी. लेकिन इस बेहद छोटे द्वीप देश पर अमेरिका आखिर क्यों उखड़ा रहता है, जबकि उसका नाम किसी आतंकी हमले में नहीं आया?
कैरेबियन सागर में बसा आइलैंड नेशन क्यूबा कोविड के दौरान चर्चा में रहा था. दरअसल यहां ज्यादातर देशों के मुकाबले काफी सारे और काबिल डॉक्टर होते हैं. क्यूबा ने तब कई देशों में अपनी मेडिकल टीम भी भेजी थी. लेकिन वो आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों की लिस्ट में बना रहा. अमेरिका ने उसे इस सूची में डाल रखा है, जिसमें ईरान, सीरिया और नॉर्थ कोरिया जैसे देश हैं. पहले ये लिस्ट और लंबी हुआ करती थी. अब लगभग सारे देश हट चुके लेकिन क्यूबा अब भी 'स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म' कहला रहा है.
ऐसे बना यूएस और क्यूबा का लव-हेट रिलेशन
अमेरिका और क्यूबा के रिश्तों की कहानी में कई मोड़ आए. पहले खुद अमेरिका ने क्यूबा को आजादी में मदद दी लेकिन जल्द ही वो इसपर काबू चाहने लगा. इसकी शुरुआत हुई थी, 19वीं सदी से, जब इसपर स्पेन का कंट्रोल था. स्पेन सदियों से इसकी जमीन और लोगों का इस्तेमाल कर रहा था. यहां तक कि ज्यादतियों के चलते क्यूबा के मूल लोग खत्म होने लगे और अफ्रीका से दास लाए गए ताकि क्यूबा में खेती-बाड़ी होती रहे. वो कई उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक बन चुका था.
19वीं सदी में अमेरिका की उसपर नजर गड़ी. दरअसल क्यूबा अमेरिका स्टेट फ्लोरिडा के एकदम करीब है. ऐसे में यूएस ने सोचा कि उसे कैरेबियन के इस देश पर भी कब्जा मिल जाए तो एक राज्य और जुड़ जाएगा. उसने भारी कीमत देकर स्पेन से क्यूबा को खरीदना चाहा, लेकिन बात नहीं बनी.

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