
आइसोलेशन में रेलवे के कोविड केयर कोच
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अप्रैल 2020 में तब कोरोना के मरीज बढ़ने लगे तो स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर रेलवे ने आइसोलेशन कोच तैयार किए थे. इसे “कोविड केयर कोच” नाम दिया गया. विभागीय तालमेल के अभाव में ये कोच किसी के भी काम नहीं आ सके. अयोध्या, मऊ को छोड़ किसी भी जिले में एक भी मरीज इलाज के लिए नहीं पहुंचा.
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण फैलने के बाद रेलवे ने संक्रमित मरीजों को भर्ती करने के लिए अलग से कोच का इंतजाम कर काफी वाहवाही बटोरी थी. अप्रैल 2020 में तब कोरोना के मरीज बढ़ने लगे तो स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर रेलवे ने आइसोलेशन कोच तैयार किए थे. इसे “कोविड केयर कोच” नाम दिया गया. लेकिन आलम यह है कि विभागीय तालमेल के अभाव में ये कोच किसी के भी काम नहीं आ सके. हकीकत यह भी है कि लाखों रुपए खर्च कर बने इन आइसोलेशन कोच में अयोध्या, मऊ को छोड़ किसी भी जिले में एक भी मरीज इलाज के लिए नहीं पहुंचा. कोच में लगाए गए ताले आज भी वैसे ही बंद हैं लेकिन इनके पेंट बदरंग हो चुके हैं. कोच पर धूल की परत जमी हुई है जो इनकी बदहाली को अच्छी तरह से बयां कर रही है. पूर्वी जिले गोरखपुर के नकहा क्रासिंग पर खड़े ऐसे 140 बेड वाले आइसोलेशन कोच मरीजों के लिए तरस गए. दस कोच वाली यह रैक शुरुआत में तो गोरखपुर जंक्शन पर खड़ी थी लेकिन जब मरीज नहीं आए तो इसे नकहा रेलवे स्टेशन से सटी क्रासिंग के पास खड़ा कर दिया गया. अब इस कोच को यांत्रिक कारखाना भेजकर इसकी आंतरिक संरचना में बदलाव करके सामान्य ट्रेन कोच की तरह उपयोग करने की योजना बनी है. पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसपंर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे में सभी कोविड केयर कोच को ट्रेन में लगाकर भेजा जाएगा.
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