अमृतपाल ने अगर PAK या नेपाल में शरण ली होगी तो क्या होगा? जानें भगोड़े अपराधी विदेशी मेहमान कैसे बन जाते हैं
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खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह का 4 दिनों बाद भी कोई सुराग नहीं मिला. ये कयास भी लग रहे हैं कि हुलिया बदलकर वो नेपाल के रास्ते दूसरे देश भाग सकता है. पाकिस्तान और नेपाल की सीमाओं पर सर्च चल रहा है. इस बीच ये मुद्दा उठ रहा है कि अपराधी जुर्म के बाद अक्सर विदेशों में पनाह क्यों लेते हैं? क्या इसके बाद उन्हें पकड़ने के रास्ते घट जाते हैं?
अबू सलेम, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे कई अपराधी हैं, जुर्म के बाद जिन्होंने दूसरे देश को ठिकाना बना लिया. मेहुल चौकसी के मामले में हाल ही में इंटरपोल यानी इंटरनेशनल पुलिस फोर्स ने रेड कॉर्नर नोटिस हटा दिया. इससे ये भी हो सकता है कि पीएनबी में करोड़ों रुपए की हेराफेरी का ये आरोपी साफ बच निकले. कई बार इसी तरह की छूट दूसरे अपराधियों को भी मिली. जुर्म करके विदेश भागना एक तरह से टाइम-बाय करने जैसा है. इस समय अपराधी अपने बच निकलने के रास्ते खोज लेता है.
लेकिन फिर भगोड़े अपराधी कैसे पकड़ में आते हैं? इसके लिए काम आती है एक्स्ट्राडिशन ट्रीटी या प्रत्यर्पण संधि. प्रत्यर्पण का मतलब है वापस लौटाना. आसान तरीके से समझें तो अगर हमारे पास दूसरे की कोई चीज गलती से आ जाए, तो मांगने पर हमें उसे लौटाना होता है. यही प्रत्यर्पण है. इंटरनेशनल स्तर पर किसी वस्तु नहीं, बल्कि अपराधियों के मामले में ये संधि की गई.
इसके तहत दो देशों के बीच ये करार होता है कि अगर उनका कोई अपराधी दूसरे देश पहुंच जाए, तो उसे वापस लौटाया जाएगा. जैसे भारत से कोई ब्रिटेन चला जाए, या इसका उलट हो, तो संधि की वजह से दोनों ही देश एक-दूसरे के अपराधी को मेहमान नहीं बनाए रखेंगे.
कई वजहों से देर होती है जितना समझ आ रहा है, ये उतना आसान भी नहीं. ज्यादातर वक्त मसला फंस जाता है. होता ये है कि क्रिमिनल होस्ट देश के कोर्ट में मामले को चुनौती दे देता है. अक्सर अपराधी ये दलील देते हैं कि अपने देश की जेल में जान का खतरा है. या फिर वे वापस लौटने के रास्ते में ही मार दिए जाएंगे. कई बार अपराधी ये तक कह देते हैं कि अपने देश का मौसम उनकी मौजूदा सेहत के लिए सही नहीं. इस तरह से समय बीतता जाता है. अपराधी जहां से जुर्म करके भागा हैं, वहां की सरकारें बदलने का भी इसपर फर्क पड़ता है कि वो प्रत्यर्पण कितने समय बाद हो सकेगा, या फिर हो भी सकेगा, या नहीं.
क्यों देश किसी अपराधी को पनाह देता है इसमें उनका सीधा-सीधा फायदा होता है. अगर अपराधी बहुत ज्यादा पैसों का गबन करके भागा हो तो जाहिर है कि उसके पास काफी पैसे होंगे. वो किसी न किसी तरह से मेजबान देश को भरोसा दिला देता है कि वो उनके यहां इनवेस्ट करेगा. इससे भी देश कुछ समय के लिए अपराधी को सेफ ठिकाना दिए रहते हैं.
इसलिए नहीं हो सकी अबू सलेम को फांसी साल 1993 में मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले के मास्टरमाइंड अबू सलेम के मामले में कुछ अलग ही हुआ. ढाई सौ से ज्यादा मौतों के जिम्मेदार सलेम को फांसी की बजाए आजीवन कारावास सुनाया गया. इसकी वजह यही प्रत्यर्पण संधि थी. ब्लास्ट के बाद सलेम कई देशों से होता हुआ पुर्तगाल पहुंच गया था. उसके साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं थी. ऐसे में समय बीतता गया.
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