अब यूपी में गंगा की सहायक नदियों के तट पर भी होगी गंगा आरती
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उत्तर प्रदेश में अब गंगा (Ganga Aarti) की 13 सहायक नदियों के तटों पर भी गंगा आरती होगी. प्रदेश सरकार ने इन सहायक नदियों के किनारे पक्के प्लेटफॉर्म बनाने की योजना तैयार की है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने नमामि गंगे योजना के आयोजनों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को इस संबंध में दिशा निर्देश दिए. रामगंगा, सरयू, राप्ती, वरुणा, घाघरा, यमुना, केन, हिंडन, सई, गोमती नदियों के किनारे मेले लगेंगे.
अगर आप काशी के घाट और प्रयाग में संगम पर गंगा आरती देख चुके हैं तो आपके मन में उस आध्यात्मिक माहौल को देखने की इच्छा बार-बार होगी. अब यूपी के कई जिलों में आपको अलग-अलग नदियों के किनारे वैसा ही आध्यात्मिक अनुभव होगा. अब गंगा की सहायक नदियों के तट पर भी गंगा आरती होगी. यूपी सरकार ने गंगा की सहायक 13 नदियों पर गंगा आरती कराने का फैसला किया है. हर शाम सहायक नदियों के तट पर आरती होगी. इन नदियों के किनारे आरती के लिए पक्के प्लेटफॉर्म बनाने की योजना योगी सरकार के पहले कार्यकाल में बनाई गई थी, जिसमें प्रदेश भर में 1000 से ज्यादा स्थलों पर आरती के लिए घाट बनाए जाने पर काम शुरू किया गया था. अब इसे विस्तार देते हुए गंगा आरती की योजना को मूर्त रूप देने पर काम शुरू हो गया है.
गंगा के तट पर हर शाम होने वाली गंगा आरती का दायरा बढ़ाकर अब गंगा की सहायक नदियों तक किया जा रहा है. इसकी पहल शुरू हो गई है. गंगा के संरक्षण और गंगा स्वच्छता के लिए घाट या तट पर आरती और अन्य आयोजन किए जा रहे हैं. नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा की स्वच्छता और संरक्षण के लिए काम देशभर में जारी है. उत्तर प्रदेश में अब गंगा की सहायक नदियों को भी शामिल किया गया है. रामगंगा, सरयू, राप्ती, वरुणा, घाघरा, बेतवा, सई, यमुना, केन, हिंडन, गोमती जैसी नदियों का कायाकल्प किया जाएगा. ये वो नदियां हैं, जो कुछ जिलों में बहकर गंगा नदी में मिलती हैं. जिन जिलों में ये नदियां आती हैं, वहां इनके तट पर शाम की आरती और धार्मिक आयोजन किए जाएंगे. तट पर समय-समय पर मेले के आयोजन की भी व्यवस्था की जाएगी. इसके लिए स्थानीय स्तर पर अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं.
गंगा की स्वच्छता के लिए सहायक नदियों का संरक्षण
दरअसल, नमामि गंगे के आयोजनों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार यह बात कही है कि गंगा की सहायक नदियों को संरक्षित किए बिना मां गंगा की स्वच्छता संभव नहीं है. इसलिए योगी के पिछले कार्यकाल में जहां बिजनौर से बलिया तक 'गंगा यात्रा' का आयोजन कर स्वच्छता और तट पर आयोजनों की शृंखला तैयार की गई थी, वहीं गंगा के घाटों को अलग-अलग जिलों में पक्का बनवाने का निर्देश भी दिया गया था. इस कार्यकाल में नमामि गंगे से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर यूपी में काम में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं. अब सहायक नदियों के किनारे आध्यात्मिक आयोजन और मेले की भी योजना बनाई गई है. यूपी के जलशक्ति विभाग में इस पर दूसरे विभागों की मदद से काम शुरू करने की तैयारी है.
मेले से मिलेगा रोजगार, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा
गंगा की 13 सहायक नदियों के लिए जो योजना बनाई गई है, उसके अनुसार, इन नदियों के तट पर प्रमुख जिलों में पक्के घाट बनाए जाएंगे. इन नदियों में गिरने वाले सीवेज को चिह्नित करके उनको बंद किया जाएगा और कई जगह STP भी लगाए जाएंगे. इन नदियों के किनारे बसे लोगों को जागरूक किया जाएगा. अभी तक गंगा में गिरने वाले नालों में से कई बड़े नालों को रोक दिया गया है, जिसमें कानपुर में एशिया का सबसे बड़ा नाला भी है. अब सहायक नदियों में भी उसी स्तर से काम किया जाएगा. इसका उद्देश्य ये है कि इन नदियों के जल में दूषित और सीवेज का पानी न गिरे. जब ये नदियां गंगा में मिलें तो इनका जल स्वच्छ रहे. पक्के घाट और गंगा आरती के आयोजन से वहां स्थानीय लोगों और पर्यटकों को आकर्षित करने की तैयारी भी है. इससे यूपी में धार्मिक पर्यटन को जहां बढ़ावा मिलेगा, वहीं मेले और हाट के आयोजन से स्थानीय स्तर पर रोजगार भी सृजित होगा.
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