अनिल अंबानी को ये 5 गलतियां ले डूबीं, जानिए क्या हैं मुकेश अंबानी की कामयाबी के पांच राज, आज एशिया के नंबर-1 अमीर
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एशिया के सबसे रईस Mukesh Ambani 66 साल के हो गए हैं. उनके नेतृत्व में रिलायंस नए मुकाम हासिल कर रही है और देश की सबसे मूल्यवान कंपनी है. वहीं दूसरी ओर उनके छोटे भाई Anil Ambani दिवालियापन से जूझ रहे हैं. एक भाई सफलता के इस मुकाम पर कैसे पहुंचा और दूसरा कैसे बर्बादी की कगार पर पहुंच गया? इसके पीछे कई कारण हैं...
दिवंगत धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) द्वारा रिलायंस ग्रुप स्थापना 1958 में की थी और आज इसका डंका दुनियाभर में बज रहा है. साल 2002 में उनके निधन के बाद देश के इस बड़े कारोबारी घराने में बंटवारा हुआ और धीरूभाई के दोनों बेटों के बीच कंपनियों को बांटा गया. बड़े बेटे मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) को पुराने बिजनेस से संतोष करना पड़ा, जिनमें पेट्रोकेमिकल, टेक्सटाइल रिफाइनरी, तेल-गैस कारोबार शामिल था. तो वहीं छोटे बेटे अनिल अंबानी (Anil Ambani) के खाते में नए जमाने के बिजनेस आए. उन्हें टेलीकॉम, फाइनेंस और एनर्जी बिजनेस सौंपा गया.
नए जमाने का बिजनेस मिलने के बाद भी वे कुछ खास कमाल नहीं कर पाए और आज दिवालियापन का सामना करने को मजबूर हैं. वहीं दूसरी ओर मुकेश अंबानी ने अपनी सूझ-बूझ से कारोबार को बुलंदियों पर पहुंचा और आज एशिया के सबसे अमीर इंसान हैं. आइए नजर डालते हैं अनिल अंबानी की बड़ी गलतियों और मुकेश अंबानी की सफलता के राज पर...
कभी टॉप-10 अमीरों में शामिल थे अनिल अंबानी
Anil Ambani के पास टेलीकॉम, पावर और एनर्जी बिजनेस था, जो नए जमाने में सफलता की गारंटी माना जा रहा था. इन सेक्टर्स में वे देश का बड़ा खिलाड़ी बनना चाहते थे और उन्होंने कई महत्वकांक्षी योजनाएं बनाईं, लेकिन सटीक प्लानिंग न होने के कारण उन्हें फायदे की जगह भारी नुकसान झेलना पड़ा. बंटवारे के पास उनके पास जो कंपनियां आई थीं, उनकी दम पर साल 2008 में अनिल अंबानी दुनिया के टॉप अमीरों की लिस्ट में छठे पायदान पर थे, जबकि आज हालत ये है कि उनकी कंपनियां बिकने की कगार पर हैं. पांच प्वाइंट में समझते हैं कि आखिर उनकी बर्बादी के क्या बड़े कारण रहे.
पहला कारण अनिल अंबानी को जब नए जमाने का कारोबार मिला, तो उन्होंने बेहद जल्दबाजी में बिना सटीक प्लानिंग के कारोबार को आगे बढ़ाने की जल्दबाजी की, जो उन्हें बहुत भारी पड़ी. वे बिना तैयारी के एक के बाद एक नए प्रोजेक्ट्स में रकम लगाते गए.
दूसरा कारण अनिल अंबानी उस समय ऊर्जा से लेकर टेलीकॉम सेक्टर का किंग बनने के लिए जिन नए प्रोजेक्ट में दांव लगा रहे थे, उनमें लागत अनुमान से ज्यादा आ रही थी और रिटर्न न के बराबर मिल रहा था. ये उनके पतन के बड़े कारणों में से एक है.
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