अध्यादेश बहाना, 2024 चुनाव निशाना... केजरीवाल ने रामलीला ग्राउंड से ठोकी PM पद पर दावेदारी!
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ रैली में पीएम मोदी को निशाने पर लिया. कहने को तो ये रैली केंद्र के अध्यादेश के विरोध में थी, लेकिन केजरीवाल का संबोधन पूरी तरह से चुनावी रंग में रंगा नजर आया. क्या केंद्र के अध्यादेश के बहाने आम आदमी पार्टी का निशाना 2024 की चुनावी जंग है?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को रामलीला मैदान में रैली की. आम आदमी पार्टी की ओर से ये रैली केंद्र सरकार की ओर से जारी अध्यादेश के खिलाफ आहूत की गई थी. अध्यादेश के खिलाफ रैली में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से लेकर आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक, सबके संबोधनों के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, ऐसे में अध्यादेश के खिलाफ रैली को संबोधित कर रहे नेताओं के हमलों के केंद्र में उनका होना स्वाभाविक था. लेकिन इस रैली में दिल्ली के सीएम केजरीवाल के संबोधन से ये साफ हो गया कि अध्यादेश तो बहाना है, 2024 का आम चुनाव आम आदमी पार्टी का असली निशाना है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले कुछ दिनों से ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के बाद केंद्र के अध्यादेश के विरोध में मोर्चा खोले हुए हैं. केजरीवाल अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष दलों का समर्थन जुटाने के लिए अलग-अलग राज्यों के दौरे कर रहे हैं, अलग-अलग दलों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं.
केजरीवाल ने रामलीला मैदान के मंच से कहा कि आज दिल्ली है तो कल कोई और राज्य होगा. केंद्र सरकार इसी तरह के अध्यादेश लाएगी और सभी अधिकार अपने पास रख लेगी. सरकार कोई चलाए, नियंत्रण मोदी सरकार का रहेगा. केजरीवाल ने इसके जरिए भगवंत मान की बात को ही आगे बढ़ाया जिन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री से पहले बोलते हुए कहा था कि 2024 में भी यदि केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो पीएम मोदी, पुतिन बन जाएंगे. देश में चुनाव का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.
केजरीवाल ने 2024 के लिए भरी चुनावी हुंकार!
इन सबको आम आदमी पार्टी के 2024 चुनाव को लेकर हुंकार माना जा रहा है. साथ ही, विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद के बीच एक संदेश भी. दरअसल, दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहते हुए भी 2014 और 2019 के आम चुनाव में आम आदमी पार्टी केंद्र शासित प्रदेश की एक भी सीट नहीं जीत सकी है. ऐसे में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का पूरा फोकस किसी भी तरह दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर बीजेपी के तिलिस्म को तोड़ना है. केजरीवाल ने दिल्ली के सांसदों पर हमला बोलकर ये साफ भी कर दिया.
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