
'अगर आदेश को चुनौती नहीं दी है तो कमेंट न करें', पुणे कोर्ट ने राहुल गांधी को दिया निर्देश
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पुणे की मजिस्ट्रेट अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निर्देश दिया है कि वे अपनी अर्जी में किसी भी कोर्ट ऑर्डर पर टिप्पणी न करें, जिसे उन्होंने चुनौती नहीं दी है. यह आदेश विनायक दामोदर सावरकर के परपोते सत्यकी सावरकर की मानहानि शिकायत से जुड़ा है.
पुणे की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निर्देश दिया है कि वे अदालत में दाखिल अपनी अर्जी में किसी भी कोर्ट ऑर्डर पर कोई टिप्पणी न करें. अदालत ने पाया कि राहुल गांधी ने अपने वकील मिलिंद पवार के जरिए अर्जी में कुछ टिप्पणियां की थीं, लेकिन उन्होंने उस आदेश को कानूनी रूप से चुनौती नहीं दी थी.
कोर्ट ने क्या कहा?
मजिस्ट्रेट अमोल शिंदे ने कहा, 'अगर आरोपी (राहुल गांधी) को समन जारी करने के आदेश से कोई शिकायत है, तो उसे उचित अदालत में चुनौती देनी चाहिए. लेकिन वह उस आदेश पर टिप्पणी नहीं कर सकता, जिसे उसने चुनौती नहीं दी है. या तो उसे आदेश स्वीकार करना होगा या फिर उचित अदालत में उसे चुनौती देनी होगी. इसलिए यह अदालत निर्देश देती है कि आरोपी किसी ऐसे आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा जो फाइनल हो चुका है या जिसे चुनौती नहीं दी गई है.'
कोर्ट में खाली पाई गई सीडी
दरअसल विनायक दामोदर सावरकर के परपोते सत्यकी सावरकर ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक मानहानि शिकायत दर्ज कराई थी. अदालत ने सावरकर पर दिए गए राहुल गांधी के कथित मानहानिकारक भाषण का वीडियो देखने के बाद उन्हें समन जारी किया था. हाल ही में जब अदालत में सत्यकी सावरकर का एग्जामिनेशन चल रहा था, तब सीलबंद सीडी से राहुल गांधी के भाषण का वीडियो चलाने की तैयारी की गई, लेकिन सीडी खाली पाई गई.
इसके बाद सावरकर के वकील संग्राम कोल्हटकर ने सुनवाई स्थगित करने की मांग की और कहा कि पहले जिस सीडी में गांधी के भाषण का वीडियो था, जो समन जारी करने से पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट ने देखा था, वह अचानक खाली कैसे हो गई, इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए. वहीं राहुल गांधी की ओर से उनके वकील मिलिंद पवार ने स्थगन की मांग का विरोध किया और अपने जवाब में कुछ टिप्पणियां कीं, जो कोल्हटकर को स्वीकार नहीं हुईं.

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