
RSS की शाखाओं में अपने लोगों को भेजने की तैयारी में था PFI, बनाया था एक सेल
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लखनऊ के अचरामऊ पकड़े गए पीएफआई के सदस्य मोहम्मद फैजान, मोहम्मद सुफियान और रेहान के मोबाइल और लैपटॉप से इस बात के सबूत मिले है कि पीएफआई की कोशिश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में घुसपैठ की थी. इसके लिए एक सेल तैयार किया था जिसमें 50 नौजवानों को ट्रेनिंग दिया जा रहा था. इनको देवी-देवताओं के बारे में बताया जाता था.
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर बैन लगने के बाद अब कई अहम खुलासे हो रहे हैं. लखनऊ में पीएफआई के पकड़े गए सदस्यों से एसटीएफ को अहम सबूत मिले है. इसके मुताबिक, पीएफआई की कोशिश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में घुसपैठ की थी. इसके लिए एक सेल तैयार किया था जिसमें 50 नौजवानों को ट्रेनिंग दिया जा रहा था.
लखनऊ के अचरामऊ पकड़े गए पीएफआई के सदस्य मोहम्मद फैजान, मोहम्मद सुफियान और रेहान के मोबाइल और लैपटॉप से इस बात के सबूत मिले हैं कि इनको देवी-देवताओं के बारे में बताया जाता था और शाखा के तौर तरीकों के बारे में ट्रेनिंग दी जाती थी, जिससे आरएसएस के अंदर घुस सके और वहां की सूचना निकालकर दे सके.
एसटीएफ के मुताबिक, अभी तक मिले सबूत से पता चला है कि पीएफआई का मकसद आरएसएस को डैमेज करना था और पीएफआई के नेता अपने लोगों को आरएसएस में स्लीपर सेल की तरह घुसाना चाहते थे. इसके अलावा चुनाव के जरिए मेन स्ट्रीम में आना चाहते थे. पंचायत-नगर निकाय चुनाव में अपनी पैठ बना कर अपने वोटर से बढ़ाना चाहते थे.
चुनाव के जरिए बढ़ा रहे थे पैठ
इसके साथ ही पंचायत चुनाव और क्षेत्र चुनाव में दबदबा बनाना चाहते थे. पीएफआई का प्रदेश अध्यक्ष अहमद बेग नगरी बहराइच के कैसरगंज से विधानसभा चुनाव लड़ा था, जबकि लखनऊ के अचरामऊ का प्रधान अरशद खुद पीएफआई का एक सक्रिय सदस्य है और अचरा मऊ गांव का प्रधान है, जिसने गांव के ज्यादातर लोगों को वोटर लिस्ट में शामिल करवाया और उसी गांव से तकरीबन आधा दर्जन लोग पीएफआई के गिरफ्तार हुए.
सुरक्षा एजेंसियों और एसटीएफ ने जब लखनऊ के अचरा मऊ गांव में छापेमारी की थी. उस दौरान पीएफआई के पंपलेट और पोस्टर सहित अन्य सामग्री जिसको चुनाव प्रचार प्रसार में प्रयोग किया जाता था, वह भी बरामद की है. यही नहीं गांव से प्रिंट होने वाली मशीन और उसके साथ सदस्यता फॉर्म भी बरामद किया था.

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