
RSS की लाठी ट्रेनिंग से आती है वीरता, यह सार्वजनिक प्रदर्शन या लड़ाई के लिए नहीं है: मोहन भागवत
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आरएसएस प्रमुख ने कहा कि देशभक्ति से प्रेरित होकर संघ के स्वयंसेवकों ने विभिन्न वाद्ययंत्रों का उपयोग करके पारंपरिक धुनों और मार्शल संगीत की रचना की है और इस प्रयास के पीछे का विचार यह सुनिश्चित करना है कि देश में बाकी दुनिया की कलाओं की कमी न हो. हमारा भारत कोई पिछड़ा या गरीब देश नहीं है. हम दुनिया के देशों की सभा में अग्रिम पंक्ति में बैठ सकते हैं और उन्हें बता सकते हैं कि हमारे पास विविध कलाएं हैं.
आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने सदस्यों को लड़ाई या सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए लाठी चलाने का प्रशिक्षण नहीं देता, बल्कि इसलिए देता है क्योंकि इससे वीरता आती है और दृढ़ रहना सिखाया जाता है. आरएसएस प्रमुख ने कहा, "लाठी चलाने वाले व्यक्ति में वीर वृत्ति विकसित होती है और वह डरता नहीं है. लाठी प्रशिक्षण संकट में दृढ़ता सिखाता है और व्यक्ति को दृढ़ संकल्प, धैर्य और अटूट शक्ति के साथ मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है."
भागवत इंदौर शहर में 'स्वर शतक मालवा' कार्यक्रम में बोलते हुए भागवत ने कहा कि भारतीय और पारंपरिक संगीत सद्भाव, सद्भावना और अनुशासन सिखाता है और व्यक्ति को बेकार के आकर्षणों से मुक्त करता है, जिससे व्यक्ति सही रास्ते पर चलता है.
उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों का संगीत मन को उत्साहित करता है और उसे आनंदित करता है, जबकि भारतीय संगीत मन को शांत करके आनंद प्रदान करता है. भारतीय संगीत सुनने से व्यक्ति सांसारिक आकर्षणों से मुक्त हो जाता है और अच्छे कर्म करने की प्रवृत्ति विकसित होती है, जिससे उसे भरपूर आनंद मिलता है. भारतीय संगीत और पारंपरिक संगीत सद्भाव, अनुशासन और सह-अस्तित्व सिखाते हैं."
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि देशभक्ति से प्रेरित होकर संघ के स्वयंसेवकों ने विभिन्न वाद्ययंत्रों का उपयोग करके पारंपरिक धुनों और मार्शल संगीत की रचना की है और इस प्रयास के पीछे का विचार यह सुनिश्चित करना है कि देश में बाकी दुनिया की कलाओं की कमी न हो. हमारा भारत कोई पिछड़ा या गरीब देश नहीं है. हम दुनिया के देशों की सभा में अग्रिम पंक्ति में बैठ सकते हैं और उन्हें बता सकते हैं कि हमारे पास विविध कलाएं हैं."
उन्होंने लोगों से "एक नया राष्ट्र" बनाने के अभियान में आरएसएस कार्यकर्ताओं से जुड़ने का भी आग्रह किया. आरएसएस 2025 में अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करेगा. भागवत ने कहा, "ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए जो दूसरे देशों के पास हो और हमारे पास न हो. हमारा देश पीछे रहने वालों में से नहीं है. यह गरीबी वाला देश नहीं है. हम पहली पंक्ति में बैठकर लोगों को यह बताने में भी सक्षम हैं कि हमारे पास क्या-क्या है..."

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