
महुआ मोइत्रा के खिलाफ CBI का 'कैश-फॉर-क्वेरी' केस धराशायी, नेशनल हेराल्ड के बाद विपक्ष को दूसरी राहत
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कैश फॉर क्वेरी केस में टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा को दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दे दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को चार्जशीट दायर करने की मंजूरी वाले लोकपाल के फैसले पर रोक लगा दी है और एक महीने के भीतर महुआ की दलीलों पर ठीक से विचार कर फैसला लेने के लिए कहा है.
नेशनल हेराल्ड केस में विशेष अदालत ने ईडी की चार्जशीट का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था. कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी को नेशनल हेराल्ड केस को राजनीति से प्रेरित बता सरकार के खिलाफ आक्रामक होने का मौका मिल गया था. अब विपक्ष को सरकार के खिलाफ आक्रामक होने का एक और मौका मिल गया है.
कैश फॉर क्वैरी मामले में पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई के चार्जशीट दायर करने से जुड़ा केस भी धराशायी हो गया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने महुआ को बड़ी राहत देते हुए लोकपाल के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें सीबीआई को चार्जशीट दायर करने की अनुमति दी गई थी.,
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने लोकपाल को इस मामले में महुआ मोइत्रा की दलीलों पर ठीक से विचार कर एक महीने के भीतर फैसला लेने के लिए कहा है. लोकपाल ने सीबीआई को इस मामले में महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने की मंजूरी दे दी थी.
महुआ मोइत्रा ने लोकपाल के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. महुआ मोइत्रा की ओर से दाखिल याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने महुआ मोइत्रा की याचिका पर अपना फैसला शुक्रवार को सुना दिया.
महुआ मोइत्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता निधेश गुप्ता पेश हुए. सुनवाई खत्म होने पर निधेश गुप्ता ने कोर्ट से सीबीआई की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने तब अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. महुआ मोइत्रा के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि लोकपाल ने उनकी बातों पर ठीक से गौर किए बिना सीबीआई को चार्जशीट दायर करने की मंजूरी दे दी.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में कहा गया कि सीबीआई को चार्जशीट दायर करने की अनुमति देने का लोकपाल का फैसला गलत है. महुआ मोइत्रा के वकील ने लोकपाल के फैसले को लोकपाल अधिनियम के विपरीत बताया और कहा कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है. हाईकोर्ट ने अब लोकपाल को महुआ मोइत्रा की दलीलों पर ठीक से विचार कर एक महीने में फैसला लेने के लिए कहा है.

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