'PMO ने हीरानंदानी को दस्तखत करने के लिए मजबूर किया,' दर्शन के हलफनामे पर बोलीं महुआ मोइत्रा
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टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के हलफनामे की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने दावा किया कि यह ना तो आधिकारिक लेटरहेड पर है और ना ही नोटरीकृत है. महुआ ने सीधे तौर पर पीएमओ की भूमिका का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, इस लेटर का ड्राफ्ट पीएमओ ने भेजा और उनसे (दर्शन) इस पर दस्तखत करने के लिए दबाव बनाया गया. महुआ का कहना था कि यह पत्र पूरी तरह से अतार्किक है.
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के सनसनीखेज आरोपों पर टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा विवादों में हैं. इस बीच, गुरुवार को कारोबारी दर्शन हीरानंदानी का एक हलफनामा सामने आया है. जिसमें उन्होंन खुलासा किया कि महुआ मोइत्रा ने उनसे संसद की अपनी लॉगिन आईडी और पासवर्ड शेयर किया था ताकि मैं उनकी तरफ से सवाल पोस्ट कर सकूं. हीरानंदानी के इस दावे पर महुआ मोइत्रा भी सामने आई हैं और हलफनामे की प्रमाणिकता पर ही सवाल उठाए हैं. महुआ ने कहा, यह ना तो आधिकारिक लेटरहेड पर है और न ही नोटरीकृत है.
बताते चलें कि व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी ने गुरुवार को संसद की एिथिक्स कमेटी के सामने एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें कई तरह के दावे किए गए और महंगे गिफ्ट लिए जाने का जिक्र किया है. हीरानंदानी का हलफनामा सामने आने के तुरंत बाद महुआ मोइत्रा ने अपना बयान जारी किया. उन्होंने व्यवसायी के हलफनामे की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया.
'निशिकांत ने सवाल के बदले रिश्वत लेने का आरोप लगाया'
दरअसल, यह मामला बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के दावे के बाद गरमा गया है. दुबे ने स्पीकर से शिकायत की थी कि टीएमसी की महुआ मोइत्रा ने सदन में सवाल पूछने के बदले रिश्वत ली है. दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई के पत्र का हवाला दिया था और दावा किया था कि उनके पास मजबूत सबूत हैं कि मोइत्रा और व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के बीच रिश्वत का आदान-प्रदान हुआ है.
'निशिकांत और उनके वकील को नोटिस'
मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में सवाल पूछने के लिए 'रिश्वत' लेने के आरोपों पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई को कानूनी नोटिस भेजा. उन्होंने कहा, मुझ पर यह आरोप लगाए गए कि लोकसभा सदस्य के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए मैंने किसी भी प्रकार का कोई लाभ लिया है. ये आरोप अपमानजनक, झूठे और आधारहीन हैं. इसका कोई भी सबूतों नहीं है.
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