PM Modi की सुरक्षा में चूक कितनी बड़ी? IB के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर से समझिए
AajTak
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब के फिरोजपुर में होने वाली रैली किसान संगठनों के विरोधके चलते रद्द हो गई. वहीं फ्लाईओवर पर पीएम मोदी के काफिला को 20 मिनट से ज्यादा फंसे रहना पड़ा. सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों ने गुरदासपुर नेशनल हाईवे को जाम कर दिया. पीएम मोदी का काफिला इसी रास्ते से होकर गुजरना था, लेकिन हाईवे जाम होने की वजह से प्रधानमंत्री का काफिला करीब 20 मिनट तक रुका रहा. आज देश का ये सबसे बड़ा मुद्दा बन गया. IB के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर यशोवर्धन आजाद ने समझाया कि आखिर प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक कितनी बड़ी बात. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा एक बहुत गंभीर प्रश्न है. प्रधानमंत्री की सुरक्षा उच्च स्तरीय सुरक्षा है और इसमें जरा भी गैप नहीं दिया जा सकता है. जब प्रधानमंत्री किसी प्रदेश में है तो सुरश्रा की जिम्मेदारी उसी प्रदेश पर आती है. ज्यादा जानकारी के लिए देखें ये वीडियो.
सबसे पहली याचिका 1 जून को NEET उम्मीदवार शिवांगी मिश्रा और नौ अन्य ने दायर की थी. इसे आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ विवेक पांडे ने दाखिल किया था. याचिका में कथित पेपर लीक के आधार पर पुराने परीक्षा परिणाम को रद्द कर नए सिरे से परीक्षा कराने की मांग की गई है. कोचिंग संस्थान फिजिक्सवाला के संस्थापक अलख पांडेय ने एक और जनहित याचिका दायर की है.
मुंबई की उत्तर पश्चिम सीट की मतगणना के दौरान अनियमितता के आरोप लगे हैं. दरअसल उत्तर पश्चिम मुंबई सीट पर उद्धव ठाकरे के उम्मीदवार मात्र 48 वोटों से हारे हैं. उनका आरोप है कि गिनती में धांधली हो गई. ठाकरे की पार्टी की शिकायत पर EC ने मुकदमा भी दर्ज करा दिया और अब उसकी जांच जारी है. लेकिन उद्धव गुट अब कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहा है.
राहुल गांधी जब 2019 में गांधी परिवार के गढ़ रहे अमेठी में बीजेपी के स्मृति ईरानी से हार गए थे, तब वायनाड ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुनकर भारत की संसद में भेजा था. फिर राहुल ने मुश्किल की घड़ी में अपना साथ देने वाले वायनाड को छोड़कर रायबरेली को क्यों चुना? दरअसल, यह निर्णय पार्टी की रणनीति का संकेत देती है.
प्रियंका गांधी को केरल के वायनाड के रास्ते लोकसभा में पहुंचने की हरी झंडी कांग्रेस ने दे दी है. कांग्रेस कार्यकर्ता बहुत पहले से ही यह डिमांड करते रहे हैं. पिछले दिनों राहुल गांधी ने भी कहा था कि बनारस से अगर प्रियंका गांधी चुनाव लड़ी होतीं तो पीएम मोदी चुनाव हार गए होते. सवाल यह है कि अगर इतना विश्वास प्रियंका पर है तो उन्हें इतना देर से क्यों मुख्य धारा में लाया जा रहा है. फिलहाल देर आए दुरुस्त आए जैसा होना चाहिए.