Monkeypox: मंकीपॉक्स से कैसे निपटेगा भारत? स्पेशलिस्ट ने बताए ये उपाय
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि इस साल की शुरुआत में मंकीपॉक्स के 6000 से अधिक मामले सामने आए हैं और 3 मौतें हुई हैं. जानकारी के मुताबिक, WHO के चीफ टेडरोस मंकीपॉक्स को लेकर 21 जुलाई को बैठक करेंगे.
देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला केरल में मिल चुका है. केरल सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि 35 साल के मरीज की हालत में लगातार सुधार हो रहा है. कोल्म जिले में रहने वाले मरीज ने हाल ही में यूएई की यात्रा की थी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्थिति की निगरानी के लिए एक केंद्रीय टीम को केरल भेजा है. फिलहाल सवाल है कि जब भारत समेत दुनिया कोरोनाकाल के तीसरे साल में प्रवेश कर रही है, वैसे में मंकीपॉक्स जैसे मेडिकल इमरजेंसी से भारत कैसे निपटेगा? आजतक ने स्थिति का जायजा लेने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों, संक्रामक रोग विशेषज्ञों और डॉक्टरों से बात की.
मंकीपॉक्स COVID नहीं है, रणनीति अलग होनी चाहिए
इंडिया मेडिकल टास्क फोर्स से जुड़े केरल के एक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर राजीव जयदेवन ने कहा कि कोरोना के विपरीत मंकीपॉक्स तेजी से फैलने वाली बीमारी नहीं है. उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप में इस साल करीब छह हजार केस मिले हैं लेकिन इनमें से किसी मरीज की मौत नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि अफ्रीका के कुछ स्थानों में मंकीपॉक्स से एक निश्चित मृत्यु दर थी लेकिन इस बीमारी का कांगो स्ट्रेन कहीं और नहीं फैल रहा है.
डॉक्टर जयदेवन ने कहा कि मंकीपॉक्स का वायरस मुख्य रूप से मरीज के पास होने या फिर शारीरिक संपर्क से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाता है. ऐसे में जिन्होंने मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी मरीज के संपर्क में आए हैं, उन्हें सावधान रहने की जरूरत है.
फोर्टिज एस्कॉर्ट्स अस्पताल में क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डायरेक्टर डॉक्टर सुप्रदीप घोष कहते हैं कि मास्क लगाने से कोरोना को रोकने में मदद मिलती थी लेकिन मंकीपॉक्स वायरस के साथ ऐसा नहीं है. केवल संक्रमित मरीजों के साथ निकटता या फिर शारीरिक संपर्क से बचना होगा.
वहीं, संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ईश्वर गिलाडा कहते हैं कि मंकीपॉक्स के ड्रॉपलेट्स या सतहों के माध्यम से फैलने की दूर तक कोई संभावना नहीं है और इस तरह का कोई मामला अबतक सामने नहीं आया है.