Higher Pension Application Process: 50 हजार रुपये महीने पेंशन, 3 मई तक मौका... 5 मिनट में ऐसे करें अप्लाई
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Higher Pension Details: अगर आप हायर पेंशन के विकल्प को चुनते हैं तो आप जहां काम करते हैं, वहां के HR से संपर्क कर सकते हैं. अगर आप खुद अप्लाई करना चाहते हैं तो उसके लिए EPFO की वेबसाइट पर जाकर हायर पेंशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
हायर पेंशन (Higher Pension) को लेकर एक बार फिर चर्चाएं तेज हो गईं, क्योंकि 3 मई बेहद नजदीक है, और अप्लाई करने का यही अंतिम तारीख है. ऐसे में लोग हायर पेंशन को लेकर अब भी कंफ्यूज हैं. अधिक पेंशन के लिए किसे इस स्कीम को चुनना चाहिए? और किसे इग्नोर करना चाहिए? इसके अलावा सबसे ज्यादा सवाल लोगों के मन में इस बात को लेकर है कि कैसे अप्लाई करें. क्या अपने नियोक्ता से संपर्क करना होगा. आज हम आपको अप्लाई के आसान तरीके बताएंगे, जिससे आप घर बैठे अप्लाई कर सकते हैं. इसके अलावा इससे जुड़े हर सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे.
दरअसल, हर EPFO सदस्य के लिए 2 खाते होते हैं, पहला कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और दूसरा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) जिसमें पेंशन की राशि डिपॉजिट की जाती है. कर्मचारी के बेसिक और DA से हर महीने 12 फीसदी राशि काटकर EPF में डाली जाती है. इतनी ही राशि नियोक्ता की तरफ से भी डिपॉजिट की जाती है. लेकिन यहां थोड़ा समझना जरूरी है, क्योंकि नियोक्ता का पूरा अंशदान EPF खाते में नहीं जाता है. नियोक्ता के 12 फीसदी में से 8.33 फीसदी रकम EPF खाते में जाती है, जबकि 3.67% रकम EPS खाते में डाली जाती है. लेकिन हायर पेंशन चुनने पर नियोक्ता के अंशदान में फेरबदल हो जाता है, जिसके बारे में आप नीचे विस्तार से जानेंगे. सबसे पहले आपको दूं कि हायर पेंशन का टेक्निकल नाम (EPS-95) है.
EPS-95 क्या है? जवाब- प्राइवेट सेक्टर (Private Sector) में कार्यरत कर्मचाारियों के हित में सरकार ने साल 1995 को एक नया कानून लागू किया था. इस कानून का मकसद प्रावइेट सेक्टर में काम करने वाले को पेंशन का लाभ मिल सके. यह 1995 में लागू हुआ था और पेंशन से जुड़ा है. इसलिए इसका नाम EPS-95 दिया गया है. जब यह कानून बना था, उस समय पेंशन फंड में अंशदान के लिए अधिकतम वेज 6,500 रुपये तय किया गया था. इसे बाद में बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया गया. यानी इस राशि का 8.33 फीसदी हिस्सा पेंशन फंड में जाता है. इस बीच साल 2014 में बदलाव किया गया, जिसके बाद कर्मचारी को अपने बेसिक और DA की कुल रकम पर 8.33 फीसदी पेंशन फंड में अंशदान की छूट मिल गई.
सवाल- ज्यादा पेंशन के लिए कैसे करें अप्लाई? (सबसे ज्यादा यही सवाल पूछे जा रहे है...) जवाब- अगर आप हायर पेंशन के विकल्प को चुनते हैं तो आप जहां काम करते हैं, वहां के HR से संपर्क कर सकते हैं. अगर आप खुद अप्लाई करना चाहते हैं तो उसके लिए EPFO की वेबसाइट पर जाकर हायर पेंशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. प्रक्रिया बेहद आसान है. आप इस लिंक (https://unifiedportal-mem.epfindia.gov.in/memberInterfacePohw/) पर क्लिक करें और आपके सामने दो विकल्प होंगे. अगर कर्मचारी 01/09/2014 से पहले रिटायर्ड हो चुके हैं, और हायर पेंशन चाहता है तो पहला विकल्प चुनें. जबकि अगर अभी रिटायर्ड नहीं हुए हैं यानी कार्यरत हैं तो फिर दूसरा विकल्प चुनें. कार्यरत कर्मचारी दूसरे विकल्प पर क्लिक करते ही, उनके सामने Registration Request फॉर्म ओपन हो जाएगा. जिसमें UAN, Aadhaar समेत डिटेल्स भरने होंगे. फॉर्म सबमिट करते ही नियोक्ता के पास कंफरमेंशन के जाएगा, आप कार्यरत हैं या नहीं? नियोक्ता से परमिशन मिलते ही हायर पेंशन के लिए कंट्रीब्यूशन शुरू हो जाएगा. आप 5 मिनट में ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं.
अधिकतर लोग इस बात को लेकर कंफ्यूज हैं, कि उन्हें अभी तक हायर पेंशन के संदर्भ में नियोक्ता की ओर कोई जानकारी नहीं दी गई है. लेकिन हकीकत ये है इसमें नियोक्ता की केवल इतनी भूमिका है कि आपके द्वारा चुने गए हायर पेंशन के विकल्प पर संस्थान में कार्यरत होने की सहमति दे. बाकी आप खुद से ऑनलाइन हायर पेंशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. ऑफलाइन भी सुविधा है, इसके लिए अपने इलाके के EPFO दफ्तर जा सकते हैं. यही नहीं, EPFO द्वारा देश के अलग-अलग हिस्सों में हायर पेंशन को लेकर कैंप लगाए जा रहे हैं. जहां जाकर आप फॉर्म भर सकते हैं.
सवाल – क्या ज्यादा पेंशन के लिए अप्लाई करने पर सैलरी कम हो जाएगी? जवाब- नियम के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी ज्यादा पेंशन के लिए अप्लाई करता है तो सैलरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बदलाव का असर नियोक्ता के अंशदान में देखने को मिलेगा. अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी और DA हर महीने 20 हजार रुपये है तो इस हिसाब 2400 रुपये कर्मचारी के हिस्से से EPF खाते में डाला जाता है और नियोक्ता को भी 2400 रुपये का योगदान देना होता है. लेकिन नियोक्ता का सारा पैसा EPF खाते में नहीं जाता है. नए नियम के तहत नियोक्ता का 8.3 फीसदी हिस्सा यानी 1660 रुपये पेंशन खाते में जाने लगेगा. बाकी 740 रुपये EPF खाते में जाएगा. अभी तक 15,000 रुपये बेसिक और DA वाले को कर्मचारी को नियोक्ता का EPS में अंशदान 8.33 फीसदी यानी 1,249.50 रुपये जाता है, बाकी पैसा EPF खाते में जाता था. लेकिन अब 2014 से EPS में अंशदान पर वेज कैप खत्म कर दिया गया और आपकी बेसिक और डीए के कुल पैसे का 8.33 फीसदी रकम डालने का विकल्प खुला है. यानी अब बेसिक और डीए मिलाकर जितना फंड बनता है, उसमें से 8.33 फीसदी राशि पेंशन में डालने का विकल्प मिलेगा. सवाल – क्या नियोक्ता पर हायर पेंशन का बोझ पड़ने वाला है? जवाब- बोझ किसी के ऊपर नहीं पड़ने वाला है... न तो कर्मचारी के ऊपर न ही नियोक्ता पर. केवल नियोक्ता की ओर से EPF खाते में जमा होने वाली राशि अब EPS खाते में जाएगी, यानी अब नियोक्ता की ओर 12 फीसदी में से 8.33 फीसदी राशि EPS खाते में जमा कराई जाएगी. बाकी 3.67 फीसदी राशि EPF में जमा होगी. यानी नियोक्ता की ओर से पेंशन फंड में ज्यादा अमाउंट जाएगा, जबकि EPF में कम फंड जाएगा.
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