G-23 की चिट्ठी देखकर राहुल बोले ये तो मोदी ने लिखी है...'सीधी बात' में गुलाम नबी आजाद ने खोले कई राज
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गुलाम नबी आजाद ने बताया कि G-23 की उस चिट्ठी में क्या था. उसकी शुरुआत में चार पैरा गांधी-नेहरू परिवार पर ही थे, नेहरू, इंदिरा ने ये काम किया, राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने ये-ये किया और राहुल जी पर भी एक लाइन है, लेकिन आज कांग्रेस आगे बढ़ नहीं रही है.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने आजतक के खास कार्यक्रम 'सीधी बात' में राहुल गांधी पर हमला बोला. उन्होंने उस समय कांग्रेस के 23 नेताओं द्वारा पार्टी आलाकमान को लिखे पत्र पर कहा कि राहुल गांधी ने वर्किंग कमेटी की बैठक में G-23 की चिट्ठी को देखकर कहा कि ये तो मोदी ने लिखी है.
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने बताया कि उस चिट्ठी में क्या था. उसकी शुरुआत में चार पैरा गांधी-नेहरू परिवार पर ही थे, नेहरू ने इतना अच्छा काम किया, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी से लेकर और बाद में, इंदिरा ने ये काम किया, राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने ये-ये किया और राहुल जी पर भी एक लाइन है, लेकिन आज कांग्रेस आगे बढ़ नहीं रही है. लोकसभा में हमारे बीते टर्म से नेता विपक्ष नहीं है और इस पर कोई विचार मंथन नहीं हो रहा है. हम लोगों ने पहले व्यक्तिगत बताया है, लेकिन कुछ भी असर नहीं हुआ. अब हम सामूहिक बता रहे हैं. हम चाहते हैं कि फुल टाइम प्रेसिडेंट हो, ब्लॉक, जिला, स्टेट, नेशनल और सीडब्ल्यूसी के चुनाव हों, जहां 26-26 साल से चुनाव नहीं हुए, जहां 26 साल से चुनाव नहीं हुए तो पार्टी आगे कैसे बढ़ेगी.
राहुल गांधी ने वर्किंग कमेटी की बैठक में ये चिट्ठी तो मोदी ने लिखी है. मतलब अब मोदी, जिनमें 15-16 केंद्रीय मंत्री और छह पूर्व मुख्यमंत्री हैं, उन्हें मोदी जी सलाह दें और जिसको आप 24 घंटे कहते हैं कि एंटी कांग्रेसी है वो कांग्रेस को ठीक करने के लिए हमको सलाह दे. वो कहेगा कि ब्लॉक लेवल, राज्य लेवल पर पार्टी मजबूत करो और बीजेपी को हराओ.
इससे पहले गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मैंने कभी गुलामी नहीं की. मैंने जब काम किया बड़ी आजादी के साथ किया. इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, केसरी, नरसिम्हा राव, सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह किसी का भी समय हो, जब हमें लगा हमने बोला. आजा बोलना लीडर्स को अच्छा नहीं लगता है. जो सोचता था वही किया और आजादी के साथ किया. जब मुझे लगा कि आजादी खतरे में है तो मैंने पार्टी छोड़ दी. कांग्रेस का मौजूदा आलाकमान सुनता नहीं था.
इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि कांग्रेस की पहले की लीडरशिप सुनती थी. मिसाल के तौर पर हमारी लड़ाई नरसिम्हा राव के साथ रही. राजेश पायलट, शरद पवार समेत 6-7 लोग थे, हम लोगों ने वर्किंग कमेटी जाना भी बंद कर दिया. इसलिए क्योंकि वो कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कदम नहीं उठा रहे थे, लेकिन प्राइम मिनिस्टर ने कभी बुरा नहीं माना.
इस दौरान उन्होंने किस्से बताते हुए कहा कि हमको इतनी छूट थी कि हम अपने दिल की बात कर सकते हैं. राव साहब ने भी कहा गुलाम नबी वर्किंग कमेटी कमेटी या कैबिनेट की बैठक में कुछ कह ले, लेकिन बाहर पार्टी को पूरी तरह डिफेंड करता है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी भी जब अकेले निर्णय लेती थीं, तो वो भी हमारी बात सुनती थीं. राजीव गांधी और मैंने तो बहुत फैसले साथ ही लिए.
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