
Dahi Handi 2025: श्रीकृष्ण का बचपन याद दिलाता है दही हांडी का पर्व, जानें इसका महत्व और इतिहास
AajTak
इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जा रही है, यानी दही हांडी का उत्सव इस बार 17 अगस्त को मनाया जाएगा. दही हांडी का जिक्र हमें भगवान श्रीकृष्ण की बचपन की कहानियों में मिलता है. जब वे छोटे थे, तो अपने दोस्तों के साथ गांव की गोपियों के घर से माखन और दही चुराते थे.
जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का उत्सव बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जा रही है. इसके ठीक अगले दिन दही हांडी का पर्व मनाया जाता है. इस बार दही हांडी का उत्सव 17 अगस्त को मनाया जाएगा. यह परंपरा खासतौर पर महाराष्ट्र, गुजरात और कुछ अन्य राज्यों में बहुत लोकप्रिय है.
दही हांडी का उत्सव केवल एक दिन का नहीं होता है. बल्कि इसकी तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं. बाजारों में मटकी, रस्सी, सजावट की सामग्री, ढोल-ताशे और रंग-बिरंगे कपड़ों की खरीदारी होती है. जगह-जगह टीमों की मीटिंग होती है, जिसमें यह तय किया जाता है कि इस साल मटकी कितनी ऊंची होगी और उसे फोड़ने के लिए कितने गोविंदाओं की टीम बनेगी. दही हांडी को फोड़ने में जुटी टीमों में शामिल लोगों को गोविंदा कहा जाता है.
कैसे हुई दही हांडी की शुरुआत?
दही हांडी भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा हुआ है. बचपन में शरारती कान्हा अपने साथियों के साथ मिलकर गोपियों के घरों से माखन-दही चुराया करते थे. गोपियों ने कान्हा की इस शरारत से बचने के लिए मटकियां ऊंची जगहों पर टांगना शुरू कर दिया. लेकिन कृष्ण और उनके दोस्त मिलकर एक मानव पिरामिड बनाते और मटकी तक पहुंच जाते. कृष्ण की इसी मस्ती की याद में आज दही हांडी का त्योहार मनाया जाता है. कहा जाता है कि यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है.
आइए अब स्टेप-बाई-स्टेप जानें कि दही-हांडी उत्सव कैसे मनाया जाता है.
1. मटकी तैयार करना एक मिट्टी या लोहे की हांडी (मटकी) को फूल, रंगीन कपड़े और पत्तों से सजाया जाता है. जिसमें दही, माखन, मिठाई और कभी-कभी सिक्के भी रखे जाते हैं. इस मचकी को ऊंचाई पर रस्सी से बांध दिया जाता है.

Polar Loop price in India: भारतीय बाजार में Polar ने अपना स्क्रीनलेस फिटनेस ट्रैकर लॉन्च कर दिया है. ये डिवाइस Whoop Band जैसे फीचर्स के साथ आता है. जहां Whoop Band के लिए यूजर्स को हर साल सब्सक्रिप्शन खरीदना होता है. वहीं Polar Loop के साथ ऐसा कुछ नहीं है. इस बैंड को यूज करने के लिए किसी सब्सक्रिप्शन की जरूरत नहीं होगी.

इंडिगो एयरलाइन की उड़ानों पर मंडराता संकट शनिवार, 6 दिसंबर को भी खत्म नहीं हुआ और हालात लगातार पांचवें दिन बिगड़े रहे. देश के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं. बीते चार दिनों से जारी इस गड़बड़ी का सबसे बड़ा असर शुक्रवार को दिखा, जब 1,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द हुईं, जबकि गुरुवार को करीब 550 फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ी थीं.

भारत और यूरोप के वर्क कल्चर में फर्क को जर्मनी में काम कर रहे भारतीय इंजीनियर कौस्तव बनर्जी ने 'जमीन-आसमान का अंतर] बताया है. उनके मुताबिक, भारत में काम का मतलब अक्सर सिर्फ लगातार दबाव, लंबे घंटे और बिना रुके डिलीवरी से जुड़ा होता है, जबकि जर्मनी और यूरोप में काम के साथ-साथ इंसान की जिंदगी को भी बराबर अहमियत दी जाती है.

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo का संचालन शनिवार को भी पटरी पर नहीं लौट सका. संकट अब पांचवें दिन में पहुंच गया है और दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु व चेन्नई एयरपोर्ट पर यात्री रातभर अपने उड़ानों का इंतजार करते नजर आए. पिछले चार दिनों में एयरलाइन को 2,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं, जिससे करीब तीन लाख से ज्यादा यात्रियों की यात्रा योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.









