Corona की नई लहर के बीच क्या लेनी पड़ेगी वैक्सीन की चौथी डोज? जानें एक्सपर्ट्स के जवाब
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भारत में कोरोना के नए वैरिएंट BF.7 के 5 केस सामने आने के बाद अलर्ट बढ़ गया है. चीन से शुरू हुई कोरोना की लहर पिछली बार की तरह पूरी दुनिया में कहर ढा सकती है. इसलिए अब भारत सरकार ने भी इस पर मंथन शुरू कर दिया है. आला आधिकारियों की बैठक में कई मुद्दों पर बातचीत भी की गई है.
चीन में खतरनाक रफ्तार से बढ़ते कोरोना संक्रमण से भारत सरकार भी अलर्ट हो गई है. ये चिंता इसलिए भी ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि कोरोना के जिस नए BF.7 वैरिएंट ने चीन में कोविड को इतनी तेजी से फैलाया है, उसके 5 केस भारत में भी मिल गए हैं. इनमें से 3 केस गुजरात तो 2 मामले ओडिशा में सामने आए हैं. एक बार फिर कोरोना को लेकर बढ़ती सतर्कता के बीच अब इस बात पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि क्या भारत की जनता को कोरोना वैक्सीन की चौथी डोज की जरूरत है?
इन सभी सवालों के बीच भारत सरकार के आला अधिकारियों की एक हाई लेवल मीटिंग बुधवार को हुई. बैठक में भारत में वैक्सीनेशन में सुधार पर जोर दिया गया. अब तक देशभर की सिर्फ 27 फीसदी आबादी ने ही कोरोना वैक्सीन की प्रिकॉशन डोज (तीसरी डोज) ली है. बैठक में इस बात पर भी चिंता व्यक्त की गई. मीटिंग में मौजूद नीति आयोग की हेल्थ कमेटी के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने वरिष्ठ नागरिकों (senior citizens) से कोरोना वैक्सीन की प्रिकॉशन डोज जल्द से जल्द लगवाने की अपील की.
क्या कहते हैं डॉ. गुलेरिया?
कोरोना वैक्सीन की चौथी डोज लगवाने की जरूरत है या नहीं? इस सवाल को लेकर फैल रहे भ्रम के बीच आजतक ने AIIMS के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया से इस बारे में बात की. उन्होंने वैक्सीन की तीसरी डोज लेने पर काफी जोर दिया. चौथी डोज के सवाल पर डॉ. गुलेरिया ने कहा कि ऐसा कोई डेटा अब तक नहीं आया है, जो चौथी डोज की जरूरत पर जोर देता हो. यानी फिलहाल चौथी डोज लेने की जरूरत नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि इसकी जरूरत तब तक नहीं है, जब तक की कोई विशेष प्रकार का बाइवेलेंट टीका (Bivalent vaccines) नहीं आ जाता है.
बाइवेलेंट वैक्सीन क्या होती है?
बाइवेलेंट टीके को फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने परिभाषित किया है. उनके मुताबिक बाइवेलेंट वैक्सीन वह वैक्सीन होती है, जो मूल वायरस के स्ट्रेन के कंपोनेंट और ओमिक्रॉन वैरिएंट के एक कंपोनेंट को मिलाकर बनाई जाती है. इससे संक्रमण के खिलाफ बेहतर और ज्यादा सुरक्षा मिलती है. इन दो कंपोनेंट को के इस्तेमाल के कारण ही इसे बाइवेलेंट वैक्सीन कहा जाता है.
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