
Bhaum Pradosh Vrat 2025: भौम प्रदोष व्रत पर आज जरूर करें ये उपाय, दूर हो जाएंगे संकट
AajTak
भौम प्रदोष व्रत को रखने से मंगल दोष से संबंधित कष्टों से मुक्ति मिलती है. सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और ऋण मुक्ति के लिए भी यह व्रत रखा जा सकता है. इस दिन महादेव और हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है.
Bhaum Pradosh Vrat 2025: आज भौम प्रदोष व्रत है. भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी को भी समर्पित है. इस व्रत को रखने से मंगल दोष से संबंधित कष्टों से मुक्ति मिलती है. सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और ऋण मुक्ति के लिए भी यह व्रत रखा जा सकता है. इस दिन महादेव और हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. कहते हैं कि भौम प्रदोष व्रत के दिन कुछ विशेष उपाय करने से बड़ा लाभ मिलता है. आइए आज आपको ऐसे ही कुछ उपाय बताते हैं.
मंगल दोष से पाएं मुक्ति भौम प्रदोष के दिन शाम को हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं. उन्हें हलवा पूरी का भोग लगाएं. भाव सहित सुन्दरकाण्ड का पाठ करें. मंगल दोष की समाप्ति की प्रार्थना करें. हलवा पूरी का प्रसाद निर्धनों में बांट दें. मंगल दोष की पीड़ा से छुटकारा मिल जाएगा.
कर्ज से मुक्ति भौम प्रदोष की रात्रि को करें. रात्रि को हनुमान जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं. इस दीपक में नौ बातियां लगाएं. हर बाती जलाएं. इसके बाद हनुमान जी को उतने लड्डू अर्पित करें, जितनी आपकी उम्र है. "हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट" का 11 माला जप करें. फिर सारे लड्डू बांट दें.
रोगों से मुक्ति इस दिन लाल वस्त्र धारण करके हनुमान जी की उपासना करें. हनुमान जी को लाल फूलों की माला चढ़ाएं. दीपक जलाएं और गुड़ का भोग लगाएं. ताम्बे का तिकोना टुकड़ा भी अर्पित करें. इसके बाद संकटमोचन हनुमानाष्टक का 11 बार पाठ करें. गुड़ का भोग बाटें और ग्रहण करें. तिकोने टुकड़े को गले में धारण कर लें या अपने पास रख लें.

Surya Mangal Yuti 2025: 16 दिसंबर को धनु राशि में बनेगी सूर्य-मंगल की युति, इन राशियों को होगा फायदा
Surya Mangal Yuti 2025: धनु राशि में बन रही सूर्य-मंगल की शक्तिशाली युति कई राशियों के जीवन में नई ऊर्जा, बदलाव और नए अवसर लेकर आ रही है. करियर, धन, रिश्ते और आत्मविश्वास से जुड़े मामलों में भी बड़ा सुधार देखने को मिल सकता है.

क्या आपने कभी गौर किया है कि दुनिया का कोई भी बड़ा नेता-चाहे वह अमेरिकी राष्ट्रपति हो या फ्रांस का प्रमुख भारत पहुंचते ही सबसे पहले हैदराबाद हाउस ही क्यों जाता है? इसकी वजह सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक ऐसा शाही अतीत है जिसमें निजाम की रईसी, ब्रिटिश दौर की राजनीतिक जटिलताएं और आजादी के बाद भारत की उभरती कूटनीतिक पहचान तीनों के निशान गहराई से दर्ज हैं.











