
Bhaum Pradosh Vrat 2025: भौम प्रदोष व्रत आज, जानें इसकी महिमा और पूजन विधि
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भौम का अर्थ है मंगल और प्रदोष का अर्थ है त्रयोदशी तिथि. मंगलवार को त्रयोदशी तिथि होने से इसको भौम प्रदोष कहा जाता है. इस दिन शिवजी और हनुमान दोनों की पूजा की जाती है.
Bhaum Pradosh Vrat 2025: आज भौम प्रदोष की पुण्य तिथि है. यह भगवान शिव के साथ रूद्रावतार वीर बजरंगी हनुमान की अनंत कृपा पाने का दिन है. इस दिन महादेव की पूजा से पापों का नाश होता है और हनुमान जी की उपासना से जीवन में आ रही बाधाएं समाप्त हो जाती हैं. हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. लेकिन मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को ही भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. आइए आपको इसकी महिमा और पूजन विधि बताते हैं.
भौम प्रदोष की महिमा भौम का अर्थ है मंगल और प्रदोष का अर्थ है त्रयोदशी तिथि. मंगलवार को त्रयोदशी तिथि होने से इसको भौम प्रदोष कहा जाता है. इस दिन शिवजी और हनुमान दोनों की पूजा की जाती है. महादेव की उपासना से हर दोष का नाश होता है और हनुमान जी की पूजा करने से शत्रु शांत होते हैं. कर्ज से छुटकारा मिलता है.
प्रदोष काल की पूजा अत्यंत फलदायी भौम प्रदोष का व्रत करके शाम की पूजा करने से जीवन की सारी समस्याओं का अंत हो सकता है. इस दिन संध्याकाल में स्नान करने के बाद संध्या-वंदना करें. भगवान शिव की पूजा करें. घर के ईशान कोण में शिवजी की स्थापना करें. महादेव को पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें.
इसके बाद कुश के आसन पर बैठकर शिवजी के मंत्रों का जाप करें. ‘ओम नम: शिवाय’ या फिर महामृत्युजंय मंत्र का जाप सर्वोत्तम होगा. फिर अपनी समस्याओं के अंत होने की प्रार्थना करें. निर्धनों को भोजन कराएं. शिव की पूजा प्रदोष काल में कर लें तो और भी उत्तम होगा. शाम के समय हनुमान चालीसा का पाठ करना भी लाभदायी होगा.
किन सावधानियों का पालन करें? यदि आप भौम प्रदोष व्रत रखने वाले हैं तो फल और जल पर ही उपवास रखें. अन्न खाने से बचें. शिवजी के साथ पार्वती जी का भी पूजन करें. शिवजी को केतकी, केवड़ा अर्पित न करें. अगर उपवास न रखें तो कम से कम सात्विक आहार ही ग्रहण करें.

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