Ashutosh Maharaj: आस्था, अंधविश्वास या चमत्कार... कश्मकश से भरी है साधु की समाधि से जुड़ी ये अजीब कहानी
AajTak
कहते हैं इतिहास कभी ना कभी अपने आप को दोहराता जरूर है. महाराज की समाधि वाली कहानी में नया ट्विस्ट ये है कि अब ठीक आशुतोष महाराज की तर्ज पर उनकी एक खास शिष्या साध्वी आशुतोषांभरी ने भी समाधि ले ली है.
ये आस्था, अंधविश्वास, चमत्कार और विज्ञान के कश्मकश की एक अजीब कहानी है. एक ऐसी कहानी, जिसमें एक शख्स पिछले दस सालों से शून्य से 15 डिग्री नीचे बर्फ के बीच डीप फ्रिजर के अंदर समाधि लेकर लेटा है, जबकि दूसरा शख़्स उसे समाधि से जगा कर भौतिक दुनिया में वापस लाने के लिए वैसी ही समाधि में जाने की तैयारी कर रहा है.
28 जनवरी 2014 जालंधर, पंजाब यही वो तारीख थी, जब जालंधर के नूरमहल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के मुखिया आशुतोष महाराज ने जीते जी समाधि ले ली. समाधि में जाते हुए वो ऐसे लेटे कि फिर कभी नहीं उठे. एक वो दिन था और एक आज का दिन, महाराज के शिष्य आज भी उनके अपने शरीर में वापस लौट आने की उम्मीद लिए उनका इंतज़ार कर रहे हैं. और तो और आशुतोष महाराज के शिष्यों ने उनके शरीर को पिछले दस सालों से उनके दोबारा उठ खड़े होने की उम्मीद में एक डीप फ्रिजर में रख छोड़ा है.
28 जनवरी 2024 आनंद आश्रम, लखनऊ कहते हैं इतिहास कभी ना कभी अपने आप को दोहराता जरूर है. महाराज की समाधि वाली कहानी में नया ट्विस्ट ये है कि अब ठीक आशुतोष महाराज की तर्ज पर उनकी एक खास शिष्या साध्वी आशुतोषांभरी ने भी समाधि ले ली है. बाबा के समाधि में जाने के ठीक दस साल बाद 24 जनवरी को साध्वी आशुतोषांभरी अपने बिस्तर पर ऐसे लेटी कि अब तक लेटी हैं. फिलहाल उनके पूरे शरीर पर कई तरह के लेप लगे हैं और उनके शिष्य उनका दिन रात ख्याल रख रहे हैं.
गुरु को वापस लाने के लिए ली समाधि आशुतोष महाराज के चाहने वालों की मानें तो बाबा ने समाधि ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति के लिए ली थी. लेकिन अब उनकी शिष्या आशुतोषांभरी की समाधि का मकसद अपने गुरु यानी आशुतोष महाराज को उनकी समाधि से वापस लाने का है. यानी अपने गुरु को समाधि के लौटा लाने के लिए अब उनकी एक शिष्या भी समाधि में चली गई हैं. लखनऊ के आनंद आश्रम में आशुतोषांभरी को मानने वाले लोगों का कहना है कि अब खुद आशुतोषांभरी तभी समाधि से वापस लौटेंगी, जब वो अपने गुरु आशुतोष महाराज को वापस ले आएं. वो समाधि की हालत में ही अपने गुरु से संपर्क साधेंगी और उन्हें वापस अपने शरीर में लौट आने के लिए कहेंगी और ऐसा करने में उन्हें एक महीने का समय लगेगा.
क्या ये मुमकिन है? मगर सवाल ये है कि क्या यूं लेटे-लेटे किसी का समाधि में चले जाना मुमकिन है? वो भी ऐसी समाधि जिसमें इंसान के लिए सांस लेना भी जरूरी ना रह जाए? उसे सर्दी गर्मी का भी असर ना हो? ना भूख-प्यास का अहसास हो? और तो और उसके शरीर को डीप फ्रिजर में रख दिया जाए और फिर भी उसे कोई फर्क ना पड़े? क्या ऐसी समाधि भी मुमकिन है?
वापस लौट आएंगी आशुतोषांभरी? मेडिकल साइंस और तर्क के पैमाने पर इन सारे सवालों के जवाब ना में हैं. डॉक्टरों के मुताबिक ऐसा किसी की मौत की हालत में ही हो सकता है. और एक बार मरने के बाद इंसान कभी दोबारा ज़िंदा नहीं होता. लेकिन दुनिया भर में मौजूद आशुतोष महाराज के लाखों शिष्यों की तरह अब साध्वी आशुतोषांभरी के चाहने वालों का भी मानना है कि उन्होंने जीते-जी अपनी मर्जी से समाधि ली है और अपनी मर्जी से एक रोज़ वापस लौट आएंगी.
एग्जिट पोल का अनुमान बताता है कि बीजेपी और महायुति को जितनी सीटों पर जीतने की उम्मीद थी, वो पूरी होती नहीं दिख रही है. एग्जिट पोल में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 20-22, कांग्रेस को 3-4, शिवसेना (ठाकरे गुट) को 9-11, शिवसेना (शिंदे गुट) को 8-10, एनसीपी (शरद पवार) को 4-5 और एनसीपी (अजित पवार) को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने पिछले महीने एक मीटिंग में अधिकारियों से हैदराबाद में लेक व्यू सरकारी गेस्ट हाउस जैसी इमारतों को 2 जून के बाद अपने कब्जे में लेने का निर्देश दिया था, जिन्हें 10 साल की अवधि के लिए आंध्र प्रदेश को दिया गया था. विभाजन के दौरान हैदराबाद को दस साल के लए दोनों राज्यों की राजधानी बनाई गई थी.