
43 साल से अमेरिकी जेल में बंद था भारतीय मूल का शख्स, अदालत से बरी होते ही फिर पहुंचा हिरासत में
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अमेरिका की एक जेल में 43 सालों से बंद भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम को इस महीने रिहा किया गया है, रिहाई के तुरंत बाद ICE ने वेदम को एक 1999 के निर्वासन आदेश के चलते सीधे संघीय हिरासत में ले लिया गया. उनके वकीलों का कहना है कि जेल में बिताए गए 43 साल इस मामले में महत्वपूर्ण हैं। प्रशासन इस प्रयास का विरोध कर रहा है.
अमेरिका की एक अदालत ने 4 चार दशकों बाद भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम को हत्या के दोषसिद्धि को खारिज कर दिया और उन्हें जेल से रिहा करना का आदेश दिया, लेकिन 3 अक्टूबर को जेल से रिहा होते ही उन्हें (वेदम) अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने हिरासत में ले लिया. बताया जा रहा है कि 64 वर्षीय वेदम को भारत निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अब वेदम निर्वासन के खिलाफ एक और बड़ी कानूनी लड़ाई का सामना कर रहे हैं.
वेदम पर ये निर्वासन आदेश 1980 के दशक के एक ड्रग दोषसिद्धि के कारण लागू हो रहा है. वेदम के वकीलों को अब आव्रजन न्यायालय को ये समझाना होगा कि गलत तरीके से जेल में बिताए गए 43 साल इस ड्रग दोषसिद्धि पर भारी पड़ने चाहिए.
इमिग्रेशन वकील अवा बेनाच ने कहा कि वेदम एक गहरे अन्याय का शिकार हुए हैं. एक वक्त था जब आव्रजन कानून लोगों को माफी मांगने की इजाजत देता था, लेकिन हत्या की दोषसिद्धि के कारण वेदम ने तब इसका पीछा नहीं किया था.
जेल में वेदम का 'उल्लेखनीय अनुभव'
इमिग्रेशन वकील ने कहा कि जेल में बिताए वेदम के 43 साल एक कोरी स्लेट नहीं हैं. उन्होंने जेल के अंदर एक उल्लेखनीय अनुभव जिया. वेदम ने सलाखों के पीछे रहते हुए कई डिग्रियां हासिल कीं, सैकड़ों साथी कैदियों को ट्यूशन दिया और लगभग आधी सदी तक सिर्फ एक बार नियमों का उल्लंघन किया जो बाहर से लाए गए चावल से जुड़ा था.

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