
4 मिनट में पाकिस्तान के अंदर अटैक, 25% चीन भी रेंज में... ब्रह्मोस-2 मिसाइल पर काम जल्द शुरू
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भारत-रूस ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल को मंजूरी देने के करीब हैं. 1500 किमी रेंज, रूसी इंजन-भारतीय सेंसर से बनेगी. पाकिस्तान पूरा, चीन का 20-25% इलाका कवर करेगी. जमीन-समुद्र-हवा से लॉन्च संभव. 2031 तक तैयार होगी. दुश्मन के डिफेंस चकमा देगी. भारत के डिटरेंस मजबूत करेगी.
भारत और रूस ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल को मंजूरी देने के करीब हैं. यह अगली पीढ़ी की मिसाइल है, जो रूसी प्रोपल्शन (इंजन तकनीक) और भारतीय सेंसर व इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW)-रोधी एवियोनिक्स (उड़ान नियंत्रण सिस्टम) का मिश्रण है. इसकी रेंज 1500 किलोमीटर है और यह जमीन, समुद्र व पनडुब्बी से लॉन्च की जा सकती है. लेकिन यह क्या है? कैसे काम करती है? इसके स्पेसिफिकेशन्स क्या हैं? और सबसे महत्वपूर्ण – यह चीन और पाकिस्तान के कितने इलाके को कवर करेगी?
ब्रह्मोस-2 ब्रह्मोस का एडवांस वर्जन है, जो भारत-रूस का संयुक्त प्रोजेक्ट है. ब्रह्मोस-1 सुपरसोनिक (ध्वनि से तेज) मिसाइल है, लेकिन ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक (ध्वनि से 5 गुना तेज) होगी. "हाइपरसोनिक" का मतलब है कि यह इतनी तेज उड़ेगी कि दुश्मन के रडार या मिसाइल डिफेंस सिस्टम इसे रोक ही नहीं पाएंगे.
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यह मिसाइल दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों – जैसे एयरबेस, बंदरगाह, कमांड सेंटर – पर सटीक हमला कर सकती है. रूस का इंजन इसे अनोखी स्पीड देगा, जबकि भारत के सेंसर (सीकर) लक्ष्य को बिल्कुल सही ढूंढेंगे. EW-रोधी एवियोनिक्स से यह दुश्मन की जैमिंग (सिग्नल बाधा) से बच जाएगी. 2031 तक इसे सेना में शामिल करने का लक्ष्य है.
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ब्रह्मोस-2 की 1500 किमी रेंज भारत के लिए गेम-चेंजर है. भारत के लॉन्च साइट्स (जैसे राजस्थान, असम, अंडमान द्वीप) से यह पड़ोसी देशों के बड़े हिस्से को निशाना बना सकती है.

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