17 राज्यों में 7 करोड़ आदिवासी सिकल सेल एनीमिया के मरीज... अब PM मोदी ने बनाया खात्मे का प्लान
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सिकल सेल एनीमिया ऐसी बीमारी है जो कि मरीज के लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) को प्रभावित करता है. इसके मरीजों को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है. जैसे कि हाथ पैरों में दर्द होना, कमर के जोड़ों में दर्द होना, अस्थिरोग, बार- बार पीलिया होना, लीवर पर सूजन आना, मूत्राशय में रुकावट/दर्द होना, पित्ताशय में पथरी होना.
सिकल सेल एनीमिया. एक ऐसी बीमारी जिसका जिक्र कर आज पीएम मोदी ने अपने विरोधियों को निशाने पर लिया. पीएम मोदी शनिवार शाम मध्य प्रदेश के शहडोल में आदिवासी समाज के बीच एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. इसी दौरान उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों को सिकल सेल एनीमिया से बचाने का संकल्प भी लिया.
पीएम ने कहा, हर साल सिकल सेल एनीमिया की गिरफ्त में आने वाले 2.5 लाख बच्चों और उनके परिवारजनों के जीवन बचाने का हम संकल्प लेते हैं. इसके बाद पीएम ने इस बीमारी के बारे में जोर देते हुए कहा कि यह एक ऐसी बीमारी है जो कि परिवारों को बिखेर देती है. यह बीमारी माता-पिता से ही आगे की पीढ़ी को मिलती है. पीएम ने कहा कि ऐसी बीमारी से पीड़ित बच्चे पूरी जिंदगी इस बीमारी से जूझते हैं. इस बीमारी से आधे मामले सिर्फ अपने देश में होते हैं. इतनी गंभीर बीमारी को लेकर देश में पिछले 70 सालों में कभी चिंता नहीं की गई.
पीएम ने इस दौरान कहा कि मैंने देश के अलग-अलग इलाकों में आदिवासी समाज के बीच एक लंबा समय गुजारा है. सिकल सेक एनीमिया जैसी बीमारी बहुत कष्टदायी होती है. ये बीमारी न पानी से होती है, न हवा से और न भोजन से फैलती है. ये बीमारी आनुवंशिक होती है यानी माता-पिता से ही बच्चे में ये बीमारी आती है. ऐसे में आइए आज चर्चा करते हैं इसी गंभीर बीमारी के बारे में. आसान शब्दों में समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह बीमारी है क्या? कैसे फैलती है? इससे ठीक होने का तरीका क्या है?
सिकल सेल एनीमिया है क्या?
आसान भाषा में समझें तो सिकल सेल एनीमिया ब्लड से जुड़ा डिसऑर्डर है. यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है. यह बीमारी सीधेतौर पर ब्लड की उस रेड ब्लड सेल्स को प्रभावित करती है जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन को ले जाने का काम करती है. आमतौर पर रेड ब्लड सेल्स गोल होती है, इसलिए ये आसानी से शरीर में मूव होती रहती है. लेकिन अगर किसी को यह बीमारी हो जाए तो उसकी ब्लड सेल्स का आकार बदल जाता है.
मरीजों के शरीर में दिखते हैं बदलाव
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