
हवाना सिंड्रोम, वो रहस्यमयी बीमारी, जिसने चुन-चुनकर अमेरिकी अधिकारियों को किया टारगेट, रूस पर लगा गंभीर आरोप
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कुछ साल पहले अमेरिकी डिप्लोमेट्स की अचानक तबियत बिगड़ने के पीछे रूस की खुफिया एजेंसी का हाथ था. हाल में अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स ने रूस पर यह गंभीर आरोप लगाया. बात हो रही है, हवाना सिंड्रोम की, जो सीधे अधिकारियों के दिमाग को टारगेट करता था. वे इतने बीमार हो जाते कि मिशन छोड़कर लौटना पड़ जाता. बीमारी की गुत्थी मेडिकल एक्सपर्ट्स से लेकर CIA तक नहीं सुलझा सकी.
रूस और अमेरिका के रिश्तों में एक और कील चुभ गई है. कुछ समय पहले अमेरिकी और जर्मन मीडिया ने मिलकर एक इनवेस्टिगेशन किया, जो हवाना सिंड्रोम पर था. इनवेस्टिगेशन के हवाले से आरोप लगाया गया कि रूस ने ही विदेशी राजदूतों और जासूसों को निशाना बनाया था. खासकर एंबेसी में तैनात अधिकारियों को. वे एक अलग ही बीमारी का शिकार होने लगे, जिसका कोई सिर-पैर नहीं था, लेकिन जिसके लक्षण इतने गंभीर थे कि काम छोड़ने की नौबत आ जाती थी. सोमवार को क्रेमलिन ने इस आरोप से इनकार किया. जानिए, क्या है हवाना सिंड्रोम, जिसकी गुत्थी अब तक नहीं सुलझ पाई.
इस तरह हुई शुरुआत
साल 2016 की रात क्यूबा की राजधानी हवाना में एक अमेरिकी राजदूत कानों में तेज आवाज और सिरदर्द के साथ जागा. जल्द ही वहां मौजूद सारे अमेरिकी राजदूतों का यही हाल था. सबके सब कनपटी दबाए चीख रहे थे. जांच में कुछ भी निकलकर नहीं आया, सिवाय इसके कि राजनयिक अब काम करने के लायक नहीं. रहस्यमयी बीमारी को नाम मिला हवाना सिंड्रोम.
दूसरे देश कर रहे थे हमला! अनुमान लगाया गया कि क्यूबा शायद अमेरिका के दुश्मन देशों जैसे रूस और चीन के साथ मिलकर जासूसी कर रहा हो. इसके लिए वो उनके लोगों पर सुपरसोनिक अटैक करता हो, जिससे दिमाग पर असर पड़ने लगा. कुछ लोगों ने इसे एनर्जी अटैक से जोड़ा तो किसी ने माइक्रोवेव अटैक से. इनके बारे में जानने से पहले एक बार जानते हैं कि क्या थे बीमारी के लक्षण, जिनके कारण अमेरिकी राजदूत बेहाल हो रहे थे.
इस तरह के थे लक्षण इनमें कानों में एकदम से तेज आवाज आने लगती थी, जैसे किसी सायरन का बीप की आवाज. कुछ लोग ऐसी अलग आवाज सुनते, तो कभी सुनी नहीं गई थी. जाहिर है कि वे इसे डिसक्राइब भी नहीं कर सके. आवाज पहला लक्षण था, जिसके बाद सिरदर्द होने लगता. उल्टियां होती. एक-दो दिन बाद ही राजनयिक को सुनाई या दिखाई देना कम हो जाता. यानी ये कोई ऐसी चीज थी जो मस्तिष्क के तंत्रिका तंत्र को टारगेट कर रही थी. टेस्ट में हालांकि कोई न्यूरोलॉजिकल बदलाव नहीं दिखे.

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