हर गांव में तैनात हो नहीं सकती पुलिस, इसलिए इस IPS ने ढूंढ़ा नायाब आइडिया; गांव-गांव में बनाईं 'वसुधा दीदीयां'
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IPS अगम जैन कहते हैं कि वसुधा दीदीयों के जरिए अब महिलाएं सूचनाएं देने लगी हैं. पुलिस कप्तान ने कहा कि जहां जरूरी होता है वहां अपराध कायम कर रहे हैं और जहां समझाइश की जरूरत है, वहां हमारी टीमें समझाइश से काम चला रही है.
मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले की आधी आबादी यानी महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को अब पुलिस की वसुधा दीदीयां रोकेंगी. दरअसल महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को नियंत्रित करने के लिए झाबुआ पुलिस ने एक नायाब नुस्खा अपनाया है. हर गांव में तो पुलिस तैनात हो नहीं सकती और खासकर महिला पुलिस. ऐसे में अपराध कैसे रोके जाएं? इस विचार ने समाधान को जन्म दिया.
इसके लिए झाबुआ पुलिस ने हर गांव की एक महिला या पढ़ी-लिखी बेटी को 'वसुधा दीदी' का नाम देकर उन्हें थाना स्तर पर बुलाकर प्रशिक्षण दिया. इसमें उन्हें महिलाओं के अधिकार और महिला संबंधी कानून की जानकारी दी गई.
हर 'वसुधा दीदी' को बताया गया कि कैसे वह अपने गांव में महिलाओं या बेटियों के साथ होने वाले अपराधों की जानकारी लेकर जिले के पुलिस कंट्रोल रूम, जिला स्तरीय महिला थाने और जिले के हर थाने पर महिलाओं के लिए बनी ऊर्जा डेस्क के मोबाइल नंबर पर देंगी.
इस संबंध में झाबुआ के एसपी अगम जैन ने कहा, समाज में ऐसे कई मामले होते हैं जिन्हें अगर प्रारंभिक तौर पर बढ़ने से रोक दिया जाए तो वह मामले बढ़े अपराधों की शक्ल नहीं ले पाते. हमारी यह वसुधा दीदीयों तक आसानी से गांव की बेटियां अपनी बात या समस्या पहुंचा सकती हैं.
दरअसल, महिलाएं सीधा थाने या चौकी में आने में एक झिझक महसूस करती हैं, इसलिए हमें शुरुआती नतीजे भी बेहद उत्साहित करने वाले मिल रहे हैं. एसपी अगम जैन कहते हैं कि वसुधा दीदीयों के जरिए अब महिलाएं सूचनाएं देने लगी हैं. पुलिस कप्तान ने कहा कि जहां जरूरी होता है वहां अपराध कायम कर रहे हैं और जहां समझाइश की जरूरत है, वहां हमारी टीमें समझाइश से काम चला रही है.
महिलाओं के हक में काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता भारती सोनी कहती हैं, आदिवासी महिलाओं में एक झिझक होती है. कई बार वह प्रताड़ित होकर भी वह मौन रहती हैं. लेकिन अब पुलिस अगर वसुधा दीदी के माध्यम से गांव गांव तक पहुंची है तो निश्चित ही इसके दूरगामी परिणाम महिलाओं के हक में ही आएंगे.
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