
सिद्धारमैया के बाद अब खड़गे फैमिली पर सवाल, एयरोस्पेस पार्क में ट्रस्ट को प्लॉट मिलने पर BJP ने घेरा, प्रियांक खड़गे का आया जवाब, जानिए पूरा मामला
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कर्नाटक में भूमि आवंटन को लेकर एक नया विवाद छिड़ गया है. बीजेपी ने मार्च 2024 में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट को कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड की साइट दिए जाने पर सवाल उठाए हैं. यह पूरा विवाद 5 एकड़ जमीन को लेकर है. ये जमीन एयरोस्पेस पार्क में नागरिक सुविधाएं (civic amenities) स्थापित करने के लिए है, जिसे अनुसूचित जाति कोटे के तहत आवंटित किया जाता है. वहीं, खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने आरोपों से इनकार किया है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का परिवार विवादों में आ गया है. बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने खड़गे के परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट को कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) की जमीन के कथित आवंटन पर सवाल उठाए हैं. सिरोया ने खड़गे परिवार से सवाल पूछा कि वे जमीन के पात्र होने के लिए एयरोस्पेस उद्यमी कब बन गए? उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या यह मामला सत्ता के दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव से जुड़ा हुआ है?
सिरोया ने बयान में कहा, एक रिपोर्ट से यह पता चला है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट (सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट) को बेंगलुरु के पास हाईटेक डिफेंस एयरोस्पेस पार्क में एससी कोटे के तहत नागरिक सुविधाओं के लिए कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) की 5 एकड़ जमीन (कुल 45.94 एकड़ जमीन) आवंटित की गई है.
'ट्रस्ट से जुड़ा है खड़गे का पूरा परिवार'
राज्यसभा सांसद सिरोया ने आगे कहा, दिलचस्प बात यह है कि ट्रस्ट के ट्रस्टियों में खुद खड़गे, उनकी पत्नी राधाबाई खड़गे, उनके दामाद और गुलबर्गा के सांसद राधाकृष्ण डोड्डामणि, बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे और एक अन्य बेटे राहुल खड़गे शामिल हैं. उन्होंने सवाल पूछा, क्या यह सत्ता के दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव से जुड़ा मामला है? उन्होंने सवाल किया कि उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने मार्च 2024 में इस आवंटन के लिए सहमति कैसे दी?
'भूमि आवंटन के लिए कब पात्र बन गया खड़गे परिवार?'
सिरोया ने पूछा, खरगे परिवार KIADB भूमि का पात्र होने के लिए एयरोस्पेस उद्यमी कब बन गया? इस कथित अवैध आवंटन का मामला एक आरटीआई कार्यकर्ता के जरिए राजभवन तक भी पहुंच गया है. उन्होंने जानना चाहा कि क्या खड़गे परिवार को आखिरकार यह जमीन छोड़नी पड़ेगी? जैसे सिद्धारमैया (मुख्यमंत्री) को मैसूरु में विवादास्पद MUDA प्लॉट्स को छोड़ना होगा. क्या इस आवंटन की जांच की जाएगी?

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