
सत्ता खाली, खिलाड़ी नए, ढाका में राजनीतिक उलटफेर का भारत पर क्या होगा असर?
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शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में फरवरी में पहला चुनाव होगा. पिछले साल हुए छात्र आंदोलन के बाद देश की राजनीति पूरी तरह बदल गई. अब चुनाव ऐसे माहौल में होगा जहां अवामी लीग जैसा बड़ा दल पाबंदीशुदा हो चुका. एक पुरानी पार्टी है, जिसमें भीतर ही घमासान है. एक और दल है, जो धार्मिक चरमपंथ पर काम करता रहा.
अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा. फिलहाल वे भारत की शरण में हैं. इस दौरान काफी चीजें उलट-पलट हुईं. हसीना को कई गंभीर अपराधों में दोषी बताते हुए फांसी की सजा सुनाई गई. हालांकि भारत ने उन्हें ढाका को नहीं सौंपा है. इसी माहौल में चुनाव आयोग ने नेशनल इलेक्शन का एलान कर दिया. बांग्लादेश अब भी अस्थिरता से उबरा नहीं है. कोई पक्ष या विपक्ष नहीं. ऐसे में क्या वहां फेयर इलेक्शन्स हो सकेंगे और बदलाव का दिल्ली-ढाका रिश्ते पर क्या असर होगा?
डेढ़ दशक से ज्यादा सत्ता में रहने के बाद हसीना का तख्तापलट हुआ, वो भी सैन्य आंदोलन से नहीं, बल्कि स्टूडेंट प्रोटेस्ट के चलते. अब बांग्लादेश की राजनीति वहां हैं, जहां आजादी के बाद से कभी नहीं दिखी. फिलहाल वहां अंतरिम सरकार मोर्चा संभाले है. विपक्ष नहीं. लेकिन वहां कोई सत्ता पक्ष जैसा भी बाकी नहीं रहा.
असल में बगावत के बाद वाले महीनों में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने फैसला किया कि अवामी लीग, जो देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी रही है, चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकेगी. दल का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया और उसकी राजनीतिक गतिविधियों पर भी रोक लग चुकी. अब बांग्लादेश में सत्ता-शून्यता की स्थिति है. ये वैसा ही है, जैसे परिवार के मुखिया एकाएक गायब हो जाएं और बाकी सदस्यों के पास जीवन चलाने की कोई तैयारी न हो.
ऐसे में यहां मुकाबला पूर्व पीएम खालिदा जिया की पार्टी (बांग्लादेश नेशलिस्ट पार्टी) बीएनपी और जमात-ए-बांग्लादेश के बीच होने की संभावना है. दोनों का ही स्टेटस घालमेल वाला दिख रहा है.
क्या है बीएनपी के साथ समस्या बीएनपी अभी भी बांग्लादेश की राजनीति में सबसे बड़े विपक्षी नेताओं में से एक है, खासकर अवामी लीग के बाहर होने के बाद. पार्टी का नेतृत्व तारिक रहमान कर रहे हैं, जो फिलहाल लंदन में हैं और वहीं से पार्टी संभाल रहे हैं. उन्होंने उम्मीदवारों की लिस्ट भी निकाल दी जो चुनाव में शामिल होंगे. लेकिन ये सब ऊपरी बातें हैं. असल ये है कि किसी समय बेहद मजबूत रहा ये दल अंदर ही अंदर लड़ाइयां झेल रहा है.

कुछ महीनों पहले अमेरिकन्स कई अलग-अलग मुद्दों पर सोच-बता रहे थे, वेनेजुएला इस लिस्ट में नहीं था. फिर अचानक कुछ घटा. अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने कहा कि वेनेजुएला की नावों को उड़ा देना चाहिए. कुछ ही समय बाद खबर आई कि अमेरिकी फोर्स ने उसकी कई बोट्स को वाकई उड़ा दिया. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इसे नार्कोटेररिज्म कहा.

अमेरिका ने वेनेजुएला के तट के पास एक बड़े तेल टैंकर 'Skipper' को जब्त कर लिया है, जो कथित तौर पर ईरान जा रहा था. इसके बाद, अमेरिका ने वेनेजुएला की कई शिपिंग कंपनियों और जहाजों पर नए प्रतिबंध लगाए हैं. ट्रंप प्रशासन ने वेनेजुएला के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की तैयारी कर रखी है और कैरेबियाई सागर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है.

आसिम मुनीर ने डोनाल्ड ट्रंप को बलूचिस्तान की खदान से निकाले गए रेयर अर्थ के सैंपल दिखाए थे. इसके बाद अब इसी खदान से अहम खनिज निकालने के लिए एक अमेरिकी बैंक ने 120 मिलियन डॉलर का लोन जारी किया है. इसके साथ ही अमेरिका 2 बिलियन डॉलर के खास औजार भी देगा जिनसे खनिज को कारगर तरीके से निकाला जा सके. अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप को आगाह किया है कि वह पाकिस्तान की आतंकी नीति को नजरअंदाज न करें क्योंकि पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैसे लश्कर और TRF को पहलगाम हमले के बाद बैन किया गया था.

शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में फरवरी में पहला चुनाव होगा. पिछले साल हुए छात्र आंदोलन के बाद देश की राजनीति पूरी तरह बदल गई. अब चुनाव ऐसे माहौल में होगा जहां अवामी लीग जैसा बड़ा दल पाबंदीशुदा हो चुका. एक पुरानी पार्टी है, जिसमें भीतर ही घमासान है. एक और दल है, जो धार्मिक चरमपंथ पर काम करता रहा.

वेनेजुएला के पास दुनिया के सबसे बड़ा तेल भंडार हैं. अमेरिका को ये बात अटकती रहती है. अमेरिका ने 2024 चुनाव में मादुरो की जीत को माना ही नहीं. ट्रंप लगातार वेनेजुएला के साथ तनाव बढ़ा रहे हैं. इसी बीच राष्ट्रपति मादुरो ने वेनेजुएला की रक्षा की कसम खाई है. और अपने फोन कॉल से पुतिन ने मादुरो को सपोर्ट करने की घोषणा कर दी है.

रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से टेलीफोन पर बातचीत की....दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी में हुई प्रगति की समीक्षा की....साथ ही दोनों नेताओं ने व्यापार, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, ऊर्जा, रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया.

पाकिस्तान के प्रोफेसर शाहिद रशीद जिन्होंने स्वयं संस्कृत का अध्ययन किया है ने कहा कि हमें इसे क्यों नहीं सीखना चाहिए? यह पूरे इलाके को जोड़ने वाली भाषा है. उन्संहोंने कहा कि स्कृत के व्याकरणविद पाणिनि का गांव इसी इलाके में था. सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान यहां बहुत कुछ लिखा गया था. उन्होंने कहा कि अगले कुछ सालों में पाकिस्तान के अपने संस्कृत स्कॉलर होंगे.

बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कहा कि वह फरवरी 2025 के चुनाव के बाद अपना कार्यकाल बीच में ही छोड़ना चाहते हैं, क्योंकि मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार उन्हें लगातार नजरअंदाज और अपमानित कर रही है. 2024 में शेख हसीना के देश छोड़ने और संसद भंग होने के बाद वे देश के एकमात्र संवैधानिक पदाधिकारी रह गए थे.





