
निवेश की लहर हुई तेज, 6.32 लाख करोड़ निवेश के साथ भारत AI–क्लाउड–मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी का बनेगा नया पॉवरहाउस
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भारत तेजी से एक ग्लोबल टेक हब बन रहा है, जहां Amazon, Microsoft, Google, Apple, Lam Research और Cohesity जैसे दिग्गजों ने 70 बिलियन डॉलर से अधिक निवेश का ऐलान किया है.
भारत अब टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की दुनिया में एक ग्लोबल हब के तौर पर तेजी से अपनी पहचान बना रहा है. दुनिया की नामी-गिरामी कंपनियां, जिनमें अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एप्पल, लैम रिसर्च और Nvidia-backed Cohesity शामिल हैं, भारत में अरबों डॉलर का भारी-भरकम निवेश कर रही हैं. इन कंपनियों ने हाल के महीनों में भारत में कुल 70 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा निवेश करने का ऐलान किया है. निवेश के मामले में अमेज़न सबसे आगे है, जिसने देश में करीबन 35 बिलियन डॉलर का निवेश करने की बड़ी योजना बनाई है.
वहीं, माइक्रोसॉफ्ट ने क्लाउड और AI इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 17.5 बिलियन डॉलर और गूगल डेटा सेंटर और डिजिटल विकास में 15 बिलियन डॉलर का बड़ा निवेश करने की घोषणा की है.
एप्पल ने भी अपने मैन्युफैक्चरिंग सप्लाई चेन को बढ़ाते हुए लगभग 1.5 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, जबकि लैम रिसर्च और Cohesity ने 1.2 बिलियन डॉलर और 1 बिलियन डॉलर का निवेश करने का ऐलान किया है. भारत तेजी से ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) का दुनिया के सबसे बड़े हब में से एक बन गया है.
GCCs (ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स) असल में कंपनियों की वो खास यूनिट्स होती हैं, जिन्हें वे पूरी दुनिया से बेहतरीन टैलेंट और एडवांस टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने के लिए बनाती हैं. इन सेंटरों के जरिए बड़ी टेक कंपनियां हाई स्किल्ड प्रोफेशनल्स को जोड़ती हैं और IT, फाइनेंस, कस्टमर सपोर्ट, रिसर्च जैसी तमाम तरह की सेवाओं को आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ पेश करती हैं. ACCA की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में GCCs के चलते देश के एक्सपोर्ट में जोरदार उछाल आया है.
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FY2022–23 में GCC से होने वाला एक्सपोर्ट राजस्व लगभग 46 बिलियन डॉलर था, जो FY2023–24 में बढ़कर 64.6 बिलियन डॉलर हो गया है. रिपोर्ट बताती है कि यही रफ्तार बनी रही तो इस दशक के खत्म होने तक GCC एक्सपोर्ट 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है.

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