
संसद मे होगी 'INDIA' की अग्निपरीक्षा, लोकसभा में कल पेश हो सकता है दिल्ली सेवा बिल
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अगर केंद्र सरकार ने लोकसभा में सोमवार को दिल्ली का ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा बिल पेश किया तो 'INDIA' गठबंधन के लिए यह एक लिटमस टेस्ट साबित हो जाएगा. आम आदमी पार्टी की पूरी कोशिश रहेगी कि इस बिल को हर हाल में पारित होने से रोका जाए. लोकसभा में तो मोदी सरकार के पास बहुमत है लेकिन आप नेता अन्य विपक्षी सांसदों की मदद से राज्यसभा में इसे रोकने की कोशिश में हैं.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से संबंधित संशोधन विधेयक को कल लोकसभा में पेश किया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक सांसदों को यह बिल सर्कुलेट कर दिया गया है. दरअसल इसी से जुड़े अध्यादेश पर केजरीवाल सरकार काफी दिनों से विरोध दर्ज कराती आई है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल देशभर के विपक्षी संगठनों से मुलाकात कर इसी बिल को चुनौती देने के लिए समर्थन की मांग कर रहे थे. अब अगर केंद्र सरकार ने लोकसभा में यह बिल पेश किया तो 'INDIA' गठबंधन के लिए यह एक लिटमस टेस्ट साबित हो जाएगा. आम आदमी पार्टी की पूरी कोशिश रहेगी कि इस बिल को हर हाल में पारित होने से रोका जाए. लोकसभा में तो मोदी सरकार के पास बहुमत है लेकिन आप नेता अन्य विपक्षी सांसदों की मदद से राज्यसभा में इसे रोकने की कोशिश में हैं.
बता दें कि 19 मई को जो अध्यादेश लाया गया था उसकी तुलना में अब बिल में कुछ जरूरी बदलाव किए गए हैं. केंद्र सरकार ने बिल लाने से पहले सेक्शन 3A और 45D में अहम बदलाव किए हैं. धारा 3A जो अध्यादेश का हिस्सा थी, उसे प्रस्तावित विधेयक से पूरी तरह हटा दिया गया है.
अध्यादेश में बदलाव कर लाया जा रहा बिल
धारा 3A संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-2 की प्रविष्टि 41 से संबंधित है. अध्यादेश में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा को सेवाओं से जुड़े कानून बनाने का अधिकार नहीं होगा. लेकिन प्रस्तावित विधेयक में अध्यादेश की एक अन्य धारा 45D के तहत प्रावधानों को कमजोर कर दिया गया है. बताते चलें कि धारा 45D बोर्डों, आयोगों, प्राधिकरणों और अन्य वैधानिक निकायों के लिए की जाने वाली नियुक्तियों से संबंधित है.
इस अध्यादेश ने एलजी/राष्ट्रपति को सभी निकायों, बोर्डों, निगमों आदि के सदस्यों/अध्यक्षों आदि की नियुक्ति या नामांकन करने की विशेष शक्तियां प्रदान कीं हैं. हालांकि, नया अधिनियम राष्ट्रपति को यह शक्ति केवल संसद के अधिनियम के माध्यम से गठित निकायों/बोर्डों/आयोगों के संबंध में प्रदान करता है.
6 महीने में अध्यादेश को कानून बनाना जरूरी

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