
संभल हिंसा का एक साल... कहां पहुंचा योगी आदित्यनाथ का 'कल्की नगरी' वाला ड्रीम प्रोजेक्ट?
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पिछले साल 24 नवंबर को संभल की शाही मस्जिद का सर्वे करने पहुंची टीम के विरोध में जबरदस्त हिंसा हुई थी. इसके बाद संभल की चर्चा पूरी दुनिया में हुई. योगी आदित्यनाथ सरकार ने फसाद की ओर बढ़ते इस शहर में कई डेवलपमेंट प्राजेक्ट शुरू किए. लेकिन, क्या ये प्रोजेक्ट संभल के उलझे हुए सवालों का जवाब बन पाएंगे?
24 नवंबर 2024 को संभल (उत्तर प्रदेश) में शाही जामा मस्जिद के ASI सर्वे के दौरान हुई हिंसा ने चार-पांच लोगों की जान ले ली थी और दर्जनों को घायल कर दिया था. यह विवाद मस्जिद को हरिहर मंदिर के अवशेषों पर बने होने के दावे से जुड़ा था. इस घटना ने संभल को पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते सर्वे रिपोर्ट रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में रखा हुआ है और इसे अभी खोला नहीं जा सकता है. पर हिंसा की यह घटना इस जिले के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. इस हिंसा के बाद देश के नक्शे में संभल को हिंसा के कारण नहीं बल्कि हिंदुओं के एक ऐसे तीर्थ के रूप में पहचान मिली जिसका ध्यान लोगों के जेहन से उतर चुका था.
संभल हिंदुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि यहां विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार भगवान कल्कि अवतार लेने वाले हैं. पुराणों के अनुसार विष्णु के 24 अवतार हैं जिसमें 23 जन्म ले चुके हैं. कलियुग के अंत में धर्म की पुनर्स्थापना के लिए 24वां कल्कि अवतार होगा. शायद यही कारण है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने संभल को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए इसे अपना ड्रीम बना लिया है. जाहिर है कि 2027 के विधानसभा चुनावों में योगी इसे अयोध्या के रामलला मंदिर की तरह बीजेपी सरकार की बड़ी उपलब्धि की तरह भुनाएंगे.
हिंसा के एक साल बाद संभल में सुरक्षा, प्रशासनिक और विकास संबंधी बदलाव दिख रहे हैं. योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसे धार्मिक पर्यटन का हब बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं, लेकिन चुनौतियां बरकरार हैं. आइए, देखते हैं कि संभल कितना बदल गया, और क्या यह कभी अयोध्या-काशी जैसा हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन सकेगा?
काशी-मथुरा-अयोध्या की तर्ज पर डिवेलपमेंट कितना आगे बढ़ा
संभल को धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में कई काम हुए हैं, ठीक वैसे ही जैसे सरकार ने अयोध्या (राम मंदिर और पर्यटन हब), काशी (विश्वनाथ धाम) और मथुरा-वृंदावन (कृष्ण जन्मभूमि और यमुना सफाई) को विकसित किया गया है. संभल को 'कल्कि अवतार' की नगरी माना जाता है (श्रीमद्भागवत, स्कंद और विष्णु पुराण के अनुसार) और स्वयं प्रदेश के सीएम इसे हिंदू धार्मिक विरासत के पुनरुद्धार का प्रतीक बनाने पर जोर दे रहे हैं. जाहिर है कि तरक्की के लिए पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है.नवंबर 2025 तक की हालिया घोषणाओं से ऐसी झलक मिल रही है कि संभल को भविष्य में यूपी की पहचान बनाने पर काम हो रहा है.
- अयोध्या में जिस तरह राम मंदिर निर्माण, राम पथ, हवाई अड्डा, होटल/पर्यटन इंफ्रा (₹85,000 करोड़ निवेश) हुआ है. उसी तर्ज पर संभल में 423 करोड़ खर्च करके 68 मंदिरों और 19 पवित्र कुओं का पुनर्निर्माण करने का प्लानिंग है, जिसकी शुरूआत हो चुकी है. इसी के साथ संभल को एक विकसित जिला बनाने की शुरुआत भी इसी साल अगस्त महीने से हो गई है.

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन गुरुवार शाम दो दिन की भारत यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे. यात्रा के दौरान पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. शुक्रवार को सम्मान समारोह, राजघाट पर श्रद्धांजलि, द्विपक्षीय बैठक और प्रेस बयान का कार्यक्रम तय है. दोनों देशों ने रक्षा, ऊर्जा और व्यापारिक सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया है.








