शिवसेना मातोश्री तक सीमित रह जाएगी या फिर ठाकरे परिवार करेगा पलटवार?
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महाराष्ट्र की सियासत में किंगमेकर की भूमिका में रही उद्धव ठाकरे की शिवसेना अब सियासी संकट से जूझ रही है. एक तरफ शिवसेना के विधायक और सांसद उद्धव का साथ छोड़कर एकनाथ शिंदे से खड़े नजर आ रहे हैं तो दूसरी तरफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का शिकंजा भी उद्धव के मजबूत सिपहसलारों पर कसता जा रहा है. ऐसे में संजय राउत की गिरफ्तारी ने उद्धव ठाकरे के लिए सियासी चुनौती और भी खड़ी कर दी है.
महाराष्ट्र की सियासत में कभी राजनीतिक ध्रुव रही शिवसेना ताश के पत्ते की तरह बिखरती ही जा रही है. शिवसेना के 40 से ज्यादा विधायक और एक दर्जन सांसदों को सीएम एकनाथ शिंदे ने पहले से ही अपने साथ मिला रखा है. वहीं, केंद्रीय एजेंसी के एक्शन और संजय राउत की गिरफ्तारी के बाद ठाकरे परिवार पर सियासी संकट और भी गहरा गया है. एक तरफ उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके मजबूत सिपहसलारों पर शिकंजा कसता जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उद्धव की शिवसेना 'मातोश्री' तक सीमित रह जाएगी या फिर ठाकरे परिवार सियासी पलटवार करेगा?
संजय राउत को ED ने किया गिरफ्तार
शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के करीबी और पार्टी सांसद संजय राउत को पात्रा चॉल मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रविवार देर रात गिरफ्तार कर लिया. इससे पहले ईडी की टीम रविवार सुबह संजय राउत के मुंबई स्थित आवास पर पहुंची और 17 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद उन्हें अपने साथ ले गई. संजय राउत को ईडी सोमवार दोपहर लंच के बाद पीएमएलए कोर्ट में पेश करेगी.
सूबे में उद्धव सरकार गिरने के बाद संजय राउत की गिरफ्तारी शिवसेना और ठाकरे परिवार के सबसे बड़ा सियासी झटका माना जा रहा है. मौजूदा समय में उद्धव ठाकरे कई मोर्चे पर घिरे हुए हैं. उद्धव के भरोसेमंद संजय राउत जैसे तेज तर्रार नेता की गिरफ्तारी ने उनकी चुनौती और भी बढ़ा दी है. हालांकि, संजय राउत ने ट्वीट कर कहा है, 'मैं शिवसेना नहीं छोड़ूंगा...मैं मर भी जाऊंगा, मैं हार नहीं मानूंगा...मेरा किसी घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है. महाराष्ट्र और शिवसेना की लड़ाई जारी रहेगी.'
संजय राउत शिवसेना के मुखर नेता और उद्धव के सबसे मजबूत सिपहसलार माने जाते हैं. दिल्ली की सियासत में शिवसेना का चेहरा हैं और गठबंधन से लेकर हर मुद्दे पर उनकी राजनीतिक दखल रहती. ऐसे में संजय राउत की गिरफ्तारी के बाद शिवसेना के पास केंद्रीय राजनीति में चेहरा कोई नहीं बचा, जो मजबूती के साथ विपक्षी दलों का समर्थन जुटा सके. इतना ही नहीं संजय राउत के गिरफ्त में आने से शिंदे के सियासी वर्चस्व को शिवसेना बचाने की लड़ाई में उद्धव ठाकरे अकेले पड़ गए हैं.
शिवसेना के दिग्गज छोड़ चुके उद्धव का साथ
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