शिवपाल या राजभर... पूर्वांचल का 'चाणक्य' कौन? घोसी उपचुनाव नतीजे के बाद चर्चा तेज
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घोसी उपचुनाव महज दो दल, दो उम्मीदवारों के बीच की लड़ाई नहीं थी. ये दो गठबंधनों, गठबंधनों के समीकरणों, नेताओं और उनकी रणनीतियों का भी टेस्ट था. शिवपाल यादव और ओमप्रकाश राजभर, दोनों नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर थी. अब परिणाम आने के बाद ये चर्चा तेज हो गई है कि पूर्वांचल का सियासी चाणक्य कौन है?
पूर्वांचल के मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पूरी ताकत लगा दी. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक समेत तमाम बड़े नेताओं ने डेरा डाल दिया था. दारा सिंह चौहान के नामांकन के ठीक बाद बड़ी रैली कर बीजेपी ने ताकत दिखाई, एकजुटता दिखाई. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अंतिम चरण में चुनावी रैली को संबोधित कर चुनावी माहौल पार्टी के पक्ष में करने की कोशिश की.
घोसी के जातीय समीकरण भी बीजेपी के लिए मुफीद माने जा रहे थे. बीजेपी ने अलग-अलग जाति-वर्ग के मतदाताओं को साधने के लिए अलग-अलग चेहरों को जिम्मेदारी दी थी. चौहान बिरादरी को साधने के लिए खुद पार्टी के उम्मीदवार दारा सिंह चौहान थे तो राजभर मतदाताओं के लिए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर. अन्य पिछड़ा वर्ग के बीच डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने प्रचार किया तो सवर्ण और दलित मतदाताओं के बीच दूसरे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने. भूमिहार वोट साधने के लिए घोसी के ही निवासी बिजली मंत्री एके शर्मा को भी मैदान में उतार दिया गया. लेकिन सभी दांव धरे के धरे रह गए.
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उपचुनाव के नतीजे आए तो विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने चुनावी अखाड़े में दारा को 42759 वोट के बड़े अंतर से पटखनी दे दी. घोसी उपचुनाव में सपा और सुधाकर बाजीगर बनकर उभरे तो इसे लेकर भी बहस छिड़ गई कि ये हार दारा की है या बीजेपी की? घोसी उपचुनाव नतीजों के बाद ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान के योगी कैबिनेट में शामिल होने की संभावनाएं कितनी हैं? इस बहस के बीच ये चर्चा भी तेज हो गई है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की सियासत का चाणक्य कौन है?
पूर्वांचल का चाणक्य कौन?
घोसी उपचुनाव महज दो दलों या उम्मीदवारों के बीच का चुनाव नहीं था. ये चुनाव था बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी इंडिया गठबंधन का. ये चुनाव था सपा के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले और बीजेपी के पिछड़ा-दलित और पसमांदा समीकरण सेट करने की कवायद का और ये टेस्ट था ओमप्रकाश राजभर की राजभर वोट ट्रांसफर करा पाने की काबिलियत का भी.
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