शाहजहांपुर की जेल में कैदी ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, 4 महीने से दहेज हत्या के केस में था बंद
AajTak
शाहजहांपुर में जेल में एक बंदी ने अपने गमछे से फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया. सूचना मिलते ही आनन-फानन में जेल प्रशासन ने सिटी मजिस्ट्रेट सूचना दी. सिटी मजिस्ट्रेट पहुंचे तो शव नीचे उतारा गया. फांसी लगाने वाला बंदी 4 महीने से दहेज हत्या के मामले में जेल में बंद था.
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जेल में एक बंदी ने अपने गमछे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. जेल में फांसी लगाने की सूचना मिलते ही जेल प्रशासन के अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए. आनन-फानन में जेल प्रशासन ने सिटी मजिस्ट्रेट सूचना दी. इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट के जेल पहुंचने पर बंदी को उतारा गया. पुलिस शव का पोस्टमार्टम करवा रही है. मामले की जांच की जा रही है.
जानकारी के अनुसार, जिला कारागार में फांसी लगाने वाला बंदी शैलेश कुमार गुप्ता पिछले 4 महीने से दहेज हत्या के केस में जेल में बंद था. बंदी शैलेश गुप्ता ने बुधवार दोपहर बैरक के पड़ोस में बने टॉयलेट के बाहर छज्जे में निकली हुई सरिया में गमछे से फांसी लगा ली. इस घटना से जेल में हड़कंप मच गया.
जेल प्रशासन की सूचना पर सिटी मजिस्ट्रेट मौके पर पहुंचे और घटना का जायजा लिया. उनके सामने शव को फांसी के फंदे से उतारा गय. सूचना पर थाना सदर बाजार की पुलिस जेल पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इस मामले में सिटी मजिस्ट्रेट आशीष कुमार सिंह का कहना है कि बंदी शैलेश गुप्ता पिछले 4 महीने से दहेज हत्या में जेल में बंद था. उसने अपने टॉयलेट में फांसी लगा ली. फिलहाल शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. इस पूरे मामले की जांच की जा रही है.
केरल में ड्राइविंग के दौरान नियमों की धजी उड़ाने वाले शख्स पर कार्रवाई करते हुए मोटर व्हीकल विभाग ने तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है. अलप्पुझा के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) आर. रामनन की जांच के बाद आरोपी पुजारी बैजू विंसेंट के खिलाफ कार्रवाई करते हुए तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर किया गया है.
दिल्ली-कनाडा फ्लाइट को बीते सप्ताह उड़ाने की धमकी एक मेल के जरिए दी गई थी. इस मामले में पुलिस ने 13 साल के एक बच्चे को पकड़ा है. यह मेल बच्चे ने हंसी-मजाक में भेज दिया था. वह यह देखना चाहता था कि धमकी भरा मेल भेजने के बाद पुलिस उसे ट्रेस कर पाती है या नहीं. अब उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा.
‘जिस घर में कील लगाते जी दुखता था, उसकी दीवारें कभी भी धसक जाती हैं. आंखों के सामने दरार में गाय-गोरू समा गए. बरसात आए तो जमीन के नीचे पानी गड़गड़ाता है. घर में हम बुड्ढा-बुड्ढी ही हैं. गिरे तो यही छत हमारी कबर (कब्र) बन जाएगी.’ जिन पहाड़ों पर चढ़ते हुए दुख की सांस भी फूल जाए, शांतिदेवी वहां टूटे हुए घर को मुकुट की तरह सजाए हैं. आवाज रुआंसी होते-होते संभलती हुई.