शरद पवार के सामने 'संपूर्ण समर्पण' की मुद्रा में क्यों आ गए हैं उद्धव ठाकरे?
AajTak
महाराष्ट्र की सियासत में पावर गेम के केंद्र में पवार परिवार है. एनसीपी के प्रमुख शरद पवार महा विकास अघाड़ी के भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं तो उनके भतीजे अजीत पवार की चर्चा बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की है. ऐसे में उद्धव ठाकरे महा विकास अघाड़ी के लिए हरसंभव समझौता करने के लिए भी तैयार हैं?
महाराष्ट्र की सियासत में उथल-पुथल का दौर और राजनीतिक उल्टफेर की पटकथा लिखी जा रही है, जिस पर देश भर की नजर लगी है. महाराष्ट्र के जिस महा विकास अघाड़ी को 2024 में विपक्षी एकजुटता का मॉडल बताया जा रहा था, वही संकट में अब दिख रहा है. इस पूरे सियासी भूचाल के केंद्र में एनसीपी चीफ शरद पवार हैं तो उनके भतीजे एनसीपी के नेता अजित पवार मुख्यमंत्री बनने की लालसा में बगावत के लिए तैयार बैठे हैं.
शरद पवार का महा विकास अघाड़ी को लेकर सियासी रुख भी बदलता नजर आ रहा है. महा विकास अघाड़ी के टूटने और बचाने की सियासत में हर एक समझौते का दांव चला जा रहा है. बीजेपी के हाथों सत्ता-पार्टी सब कुछ गवां चुके उद्धव ठाकरे अपने सियासी वजूद को बचाए रखने के लिए पवार परिवार को सभी 'सियासी पावर' देने के लिए रजामंद है. इस तरह उद्धव ठाकरे अब शरद पवार के सामने 'संपूर्ण समर्पण' के मुद्रा में आ गए हैं?
पवार परिवार का पावर गेम
दरअसल, अजीत पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने की लालसा को पिछले कई चुनावों से अपने दिल में पाले बैठे हैं. उनकी इसी लालसा को बीजेपी हवा दे रही है. शिवसेना के 16 बागी विधायकों की सदस्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जिसका फैसला जल्द ही आने वाला है. यह फैसला अगर उद्धव गुट के पक्ष में जाता और विधायकों की सदस्यता रद्द होती है तो फिर बीजेपी-शिंदे सरकार अल्पमत में आ जाएगी. उद्धव ठाकरे इसी उम्मीद में राज्य में समय से पहले चुनाव कराए जाने की बात कह रहे हैं तो बीजेपी भी सियासी दांव चलना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही सवाल उठने लगा है कि महा विकास अघाड़ी के तीन दल एक साथ रहेंगे?
अजीत पवार के तेवर को देखते हुए शरद पवार भले ही कह रहे हों कि एनसीपी बीजेपी के साथ नहीं जाएगी, लेकिन एमवीए के भविष्य पर सवाल खड़े कर कर रहे हैं. पवार का रविवार को दिया गया एक बयान बहुत चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जिसको जो करना है करे, वह किसी को कुछ भी करने से या कोई फैसला लेने से नहीं रोक सकते हैं. इसी के साथ पवार का एक और बयान चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा कि महाविकास अघाड़ी में शामिल दलों द्वारा अभी तक चुनावों के मसले पर कोई बात नहीं हुई है. और न ही कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा इस मसले पर भी चर्चा हुई है. ऐसे में शरद पवार को लेकर सियासी कयास लगाए जाने लगे हैं.
उद्धव का पवार के सामने समर्पण
असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई कैबिनेट में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री नियुक्त किया गया है. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के नेता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय का प्रभार दिया गया है.
मोदी कैबिनेट के विभागों का बंटवारा हो गया है. इस मंत्रिमंडल में राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, जयशंकर वही मंत्रालय संभालेंगे जो अब तक संभालते आ रहे थे. मंत्रिमंडल को देखकर ऐसा लगता है कि इसमें बॉस मोदी ही हैं और वो सहयोगी दलों के किसी भी प्रकार के दबाव में नहीं आए. देखें ब्लैक एंड वाइट.
नरेंद्र मोदी ने बीते दिन पीएम पद की शपथ ले ली है.वहीं मोदी कैबिनेट में शामिल होने के लिए भाजपा ने अजित पवार गुट की एनसीपी को भी ऑफर दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. इसके बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज है. अजित गुट के प्रफुल्ल पटेल को राज्य मंत्री का ऑफर था, लेकिन उन्होंने ये कहकर इसे ठुकरा दिया कि वो कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और ये उनका डिमोशन होगा. देखिए VIDEO
राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के वायरल वीडियो पर दिल्ली पुलिस का बयान आया है. इसमें कहा गया है, रविवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के लाइव प्रसारण के दौरान कैद एक जानवर की तस्वीर दिखा रहे हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि यह जंगली जानवर है. ये तथ्य सत्य नहीं हैं. कैमरे में कैद जानवर एक आम घरेलू बिल्ली है.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि मणिपुर पिछले 1 साल से शांति की प्रतीक्षा कर रहा है. भागवत ने कहा कि संसद में विभिन्न मतों के बीच सहमति बनाना कठिन है, लेकिन यह आवश्यक है. उन्होंने समाज में फैल रही असत्य बातों और कलह पर भी चिंता जताई. मणिपुर में शांति लाने के लिए प्राथमिकता देने की जरूरत पर जोर दिया.