
वो गड्ढा... जिसमें कभी दिखती है आग तो कभी मकड़ियां! क्या ये है नरक का दरवाजा?
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तुर्कमेनिस्तान के कराकुम रेगिस्तान में एक जगह है जो विज्ञान और रहस्य दोनों को झकझोर देती है. इस जगह को ‘नरक का दरवाज़ा’ कहा जाता है. यहां एक विशाल गड्ढा है जिसमें सैकड़ों साल से आग जल रही है, मानो धरती का फटना अभी तक रुका नहीं है. इसके चारों ओर जहरीली गैस फैलती हैनऔर पास जाने की हिम्मत किसी में भी नहीं होती.
तुर्कमेनिस्तान के कराकुम रेगिस्तान के बीचों बीच नरक का दरवाजा है. असल में इस रेगिस्तान के बीच में एक बड़ा सा गड्ढा है और इस गड्ढे में हमेशा आग की लपटें दिखाई देती हैं. सालों से यह आग बुझने का नाम नहीं ले रही है. इसे नरक का दरवाजा कहा जाता है. दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं लेकिन बहुस पास जाने से हर कोई घबराता है. यहां सिर्फ आग की लपटें ही नहीं बल्कि जहरीली गैस भी है. आइए बताते हैं ये गड्ढा यहीं बना कैसे.
गैस क्रेटर कब बना इसका कोई प्रमाण नहीं
यह गैस क्रेटर या आग का गड्ढा 1971 में बना था, जब सोवियत भूवैज्ञानिकों ने ड्रिलिंग करते समय गलती से प्राकृतिक गैस का चैंबर ढहा दिया था. जहरीली गैस निकलने के डर से उन्होंने उसमें आग लगा दी. उम्मीद थी कि यह जल्दी बुझ जाएगी, लेकिन उनका प्लान काम नहीं आया और तब से क्रेटर में आग जल रही है. ऐसा कहा जाता है तुर्कमेनिस्तान के पास इस घटना का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है.
यह कल्पना करना मुश्किल है कि यहां जीवन कैसे संभव हो सकता है. फिर भी, कुछ सबूत बताते हैं कि जलती हुई ज़मीन और सल्फर की गैसों के बीच, यहां एक अनोखे जीवों का समूह रहने लगा है जो कि मकड़ी है. कहा जाता है यह नर्क का दरवाजा रहस्यमयी है. हालांकि तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात में हाइड्रोकार्बन विकास पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि क्रेटर में आग अब धीरे-धीरे बुझने लगी है.

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