विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को नेता बनाकर अखिलेश क्या संदेश देना चाहते हैं?
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उत्तर प्रदेश विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को नेता विरोधी दल बनाया गया है. समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसका ऐलान किया. जानिए लाल बिहारी यादव के नेता विरोधी दल बनाए जाने के क्या मायने हैं?
समाजवादी पार्टी ने यूपी विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को नेता विरोधी दल बनाया है. ये फैसला ठीक उस समय किया गया है जब यूपी विधानमंडल का सत्र चल रहा है. हालांकि इसकी वजह ये भी है कि विधान परिषद में समाजवादी पार्टी दल के नेता संजय लाठर का कार्यकाल 26 मई को समाप्त हो गया था.
अब देखा जाए तो जहां विधान परिषद में लाल बिहारी यादव नेता होंगे वहीं विधानसभा में खुद अखिलेश यादव विरोधी दल नेता हैं. यानि एक ही जाति के नेता दोनों सदनों में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. राजनीति में हर बात के मायने होते हैं तो इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गयी है.
कौन हैं लाल बिहारी यादव?
लाल बिहारी यादव का नाम यूं हो बहुत ज़्यादा चर्चा में कभी नहीं आया, लेकिन समाजवादी पार्टी ने लाल बिहारी यादव को यूपी विधानमंडल के उच्च सदन का नेता बना दिया है. इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य रहे लाल बिहारी यादव शिक्षक नेता हैं और उन्होंने माध्यमिक शिक्षक संघ के वित्त विहीन गुट बनाया था.
बलिया से मथुरा तक की पदयात्रा करके उन्होंने शिक्षकों के हितों को लेकर संदेश दिया था. लाल बिहारी यादव वाराणसी से शिक्षक क्षेत्र से एमएलसी हैं. इसके साथ ही एक ख़ास बात ये है कि लाल बिहारी यादव आज़मगढ़ के रहने वाले हैं. आज़मगढ़ समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है और यहां से खुद अखिलेश यादव सांसद रहे हैं.
लाल बिहारी यादव का आजमगढ़ कनेक्शन
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