लीबिया की कैद से 9 भारतीय नाविक रिहा, कैमरून के शिप क्रैश के बाद हुए थे गिरफ्तार
AajTak
ये सभी नाविक कैमरून के माया -1 शिप पर चालक दल का हिस्सा थे. ये जहाज ग्रीक कंपनी मैसर्स रेडविंग्स शिपिंग एसए का था और लीबिया के जांजौर क्षेत्र के पास जमींदोज हो गया था. घटना के बाद, ज़ाविया शहर में अल माया पोर्ट के पास स्थित एक स्थानीय सशस्त्र समूह अज़ ज़ाविया ने चालक दल को हिरासत में ले लिया था.
लीबिया के एक विद्रोही समूह ने जनवरी से हिरासत में रखे गए नौ भारतीय नाविकों को रिहा कर दिया है. ये सभी नाविक कैमरून के माया -1 शिप पर चालक दल का हिस्सा थे. ये जहाज ग्रीक कंपनी मैसर्स रेडविंग्स शिपिंग एसए का था और लीबिया के जांजौर क्षेत्र के पास जमींदोज हो गया था. घटना के बाद, ज़ाविया शहर में अल माया पोर्ट के पास स्थित एक स्थानीय सशस्त्र समूह अज़ ज़ाविया ने चालक दल को हिरासत में ले लिया था.
इन नाविकों की रिहाई का श्रेय दो प्रमुख व्यक्तियों के प्रयासों को दिया जा रहा है. इनमें बेंगाजी में इंडियन इंटरनेशनल स्कूल के प्रिंसिपल तबस्सुम मंसूर और ट्यूनीशिया में भारत के राजदूत नगुलखम जथोम गंगटे शामिल हैं. राजदूत गंगटे ने बताया कि त्रिपोली के पिछले प्रयासों के परिणामस्वरूप हमें कोई सफलतना नहीं मिल सकी थी, जिससे मंसूर ने इसमें मदद की. मंसूर का योगदान, विशेष रूप से प्रतिनिधि सभा में उनके संबंध, नाविकों की रिहाई को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण थे.
बता दें कि लीबिया में भारतीय नागरिकों के कल्याण के लिए अपने समर्पण के लिए पहचानी जाने वाली तबस्सुम मंसूर ने विद्रोही समूह के साथ बातचीत का जुगाड़ करने के लिए अपने व्यापक नेटवर्क का इस्तेमाल किया. इसी के चलते विद्रोही समहू से बातचीत हो सकी और उन्हें इन नाविकों को रिहा करने के लिए मनाया गया. रिहाई के बाद सभी नाविक अपने घर लौट रहे हैं, जहां महीनों से उनके परिजन इनका इंतजार कर रहे हैं.
पाकिस्तान के नेताओं की तरह वहां का मीडिया भी झूठ के सहारे प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए पूरी दुनिया में बदनाम है. ऐसी ही एक कोशिश पाकिस्तान के नामी पत्रकार हामिद मीर ने की है. उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को तोड़-मरोड़कर झूठ बोला है, जिसकी सच्चाई खुद उनके वीडियो में ही पता चल रही है.
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी सोमवार को तीन दिवसीय दौरे पर पाकिस्तान पहुंचे हैं. सोमवार को ही उन्होंने पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ से द्विपक्षीय वार्ता की और एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. कॉन्फ्रेंस के दौरान शहबाज शरीफ ने पूरी कोशिश की कि रईसी कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के पक्ष में कुछ बोलें लेकिन वो बुरी तरह विफल रहे.