
रूस पर यूक्रेन के ड्रोन अटैक ने बढ़ाई दुनिया की टेंशन... ऐसे हमलों से निपटने के लिए भारत कितना तैयार?
AajTak
यूक्रेन द्वारा रूसी एयरबेस पर किए गए FPV ड्रोन हमले को हाल के वर्षों की सबसे नई सैन्य रणनीतियों में से एक माना जा रहा है. भारतीय डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह ऑपरेशन भविष्य के युद्धों का संकेत है. भारत भी अब FPV ड्रोन, काउंटर ड्रोन और एयर डिफेंस टेक्नोलॉजी पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन द्वारा रूस के एयरबेस पर किए गए FPV ड्रोन हमले को हाल के समय की सबसे रणनीतिक और इनोवेटिव सैन्य कार्रवाइयों में से एक माना जा रहा है. इस हमले ने न सिर्फ रूस की सैन्य संरचना को झटका दिया बल्कि पूरी दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अब युद्ध के तरीकों में कितनी तेजी से बदलाव आ रहा है.
यूक्रेन के ड्रोन हमले, और भारत की तैयारी पर क्या कह रहे एक्सपर्ट?
भारत के डिफेंस एक्सपर्ट्स और पूर्व सेना अधिकारी कर्नल देवेश सिंह (रिटायर्ड) ने आजतक से बातचीत में कहा कि यह हमला न सिर्फ शानदार योजना का हिस्सा था बल्कि यह भविष्य के युद्ध की झलक भी है. उन्होंने कहा, "यूक्रेन का यह ऑपरेशन 'स्पाइडर वेब' बेहद सुनियोजित था. यह बिल्कुल वैसा ही था जैसा कभी इजरायल ने 'पेजर अटैक' के दौरान किया था."
यह भी पढ़ें: यूक्रेन की मास स्ट्राइक को दिया झटका, मार गिराए थे जेलेंस्की के 162 ड्रोन, रूस का बड़ा दावा
कर्नल देवेश के मुताबिक, यूक्रेन ने ऐसे FPV (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन का इस्तेमाल किया जो कम लागत वाले, तेज रफ्तार वाले और बेहद छोटे साइज के थे. ये ड्रोन ट्रकों की छत के अंदर छिपाकर रूसी एयरबेस के पास पहुंचाए गए. उन्होंने बताया, "इन ड्रोन को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया था, जिससे इनकी रेंज 18 से 20 किलोमीटर तक बढ़ गई थी. इनकी हाई स्पीड और छोटे आकार के कारण ये रूसी रडार की पकड़ में नहीं आए."
इस ऑपरेशन के तहत जिन एयरक्राफ्ट को नुकसान पहुंचाया गया उनमें Tu-95, Tu-22, और AWACS (A-50) शामिल हैं. ये सभी रूस के रणनीतिक और लॉन्ग-रेंज हमले में इस्तेमाल होने वाले विमान हैं जो यूक्रेनी शहरों पर मिसाइल हमलों में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस ऑपरेशन में न सिर्फ यूक्रेनी एजेंसियों की प्लानिंग शामिल थी बल्कि किसी अन्य देश की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को रूसी भाषा में भगवद गीता का एक विशेष संस्करण भेंट किया है. इससे पहले, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को भी गीता का संस्करण दिया जा चुका है. यह भेंट भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को साझा करने का प्रतीक है, जो विश्व के नेताओं के बीच मित्रता और सम्मान को दर्शाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कई अनोखे और खास तोहफे भेंट किए हैं. इनमें असम की प्रसिद्ध ब्लैक टी, सुंदर सिल्वर का टी सेट, सिल्वर होर्स, मार्बल से बना चेस सेट, कश्मीरी केसर और श्रीमद्भगवदगीता की रूसी भाषा में एक प्रति शामिल है. इन विशेष तोहफों के जरिए भारत और रूस के बीच गहरे संबंधों को दर्शाया गया है.

चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन बयानों को प्रमुखता दी, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया है. पुतिन ने कहा कि रूस को दोनों देशों के आपसी रिश्तों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं. चीन ने पुतिन की भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह नतीजों पर नजर रखे हुए है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार रात डिनर का आयोजन किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डिनर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया. इसके बावजूद कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को बुलाया गया.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.







