राहुल गांधी के खिलाफ CPI नेता एनी राजा की उम्मीदवारी INDIA गुट के लिए बड़ा नैतिक चैलेंज
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नैतिक सपोर्ट बहुत बड़ी ताकत होती है, और नैतिक चैलेंज बड़ी मुसीबत. वायनाड में राहुल गांधी अभी से ही ये मुश्किल फेस करने लगे हैं. अमेठी तो लगभग छोड़ ही चुके हैं, रायबरेली पर भी असमंजस बना हुआ है - हो सकता है, वायनाड अब भी पूरी तरह सेफ हो, लेकिन नैतिक चुनौती तो मिलने ही लगी है.
राहुल गांधी के खिलाफ वायनाड में भी तलवारें खिंचने लगी हैं. बल्कि, ये कहना बेहतर होगा कि अमेठी और रायबरेली की तरह वायनाड में भी तलवारें लटक रही हैं - केरल में सत्ताधारी LDF ने तो CPI नेता एनी राजा को वायनाड से अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है.
ऐसे में जबकि यूपी और दिल्ली सहित कई राज्यों में INDIA ब्लॉक फिर से सक्रिय नजर आने लगा है, केरल में बात काफी बिगड़ गई है. पश्चिम बंगाल में तो लेफ्ट और कांग्रेस साथ साथ होते ही हैं, और केरल में अलग अलग. INDIA ब्लॉक तो पूरे देश के लिए बना था. ममता बनर्जी के सख्त तेवर दिखाने, और नीतीश कुमार के एनडीए में चले जाने के बाद INDIA ब्लॉक को दोबारा अखिल भारतीय स्वरूप देने की कोशिश लग रही थी - लेकिन अब तो लग रहा है, केरल का हिसाब किताब पहले जैसा ही है. कांग्रेस और लेफ्ट साथ नहीं आने वाले हैं.
कांग्रेस के लिए मुश्किल सिर्फ वायनाड सीट पर ही नहीं खड़ी हुई है, सीनियर नेता शशि थरूर की तिरुवनंतपुरम सीट से भी सीपीआई ने पूर्व सांसद पी. रविंद्रन को प्रत्याशी घोषित कर दिया है. हालांकि, ये भी कोई नई बात नहीं है. सीपीआई ने ऐसा 2019 में भी किया था और पहले भी - लेकिन 2009 ने शशि थरूर चुनाव जीतते आ रहे हैं. 2024 के लोक सभा चुनाव में क्या होता है, देखना होगा.
सुनने में आ रहा है कि IUML यानी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की तरफ से भी दो के बजाय तीन सीटों की डिमांड होने लगी है. और अपने हिसाब से मुफीद मुस्लिम आबादी को देखते हुए आईयूएमएअ ने वायनाड सीट पर भी अपनी दावेदारी जता दी है.
अब जो हालात नजर आ रहे हैं उसमें राहुल गांधी को अगर वायनाड सीट छोड़नी पड़े, और अमेठी या रायबरेली पर मन न भरे तो किसी और चुनाव क्षेत्र का ही रुख करना पड़ सकता है. अब तो सोनिया गांधी के राजस्थान के रास्ते राज्य सभा शिफ्ट हो जाने के बाद, तेलंगाना से भी चुनाव लड़ने का विकल्प मौजूदा है - और कांग्रेस की सरकार तो कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में भी है, राज्य सभा चुनाव की फजीहत से इतर कांग्रेस राहुल गांधी के लिए कोई सुरक्षित स्थान तो खोज ही सकती है.
कांग्रेस के लिए मुश्किल हुई वायनाड की लड़ाई