
राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने पर बोलीं स्मृति ईरानी- वो कांग्रेस के मालिक हैं और मैं बीजेपी कार्यकर्ता
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स्मृति ईरानी ने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव में जब मैं अमेठी लड़ने गई तो मेरे पास प्रचार के लिए सिर्फ 30 दिन से भी कम समय था. ये आज सार्वजनिक कहने में मुझे कोई झिझक नहीं कि उस वक्त उन 30 दिनों में मेरे पास 60 प्रतिशत बूथों पर कोई कार्यकर्ता नहीं था टेबल लगाने के लिए. उस वक्त मुलायम सिंह यादव का एक इंटरव्यू हुआ था आजतक पर.
आजतक G-20 समिट में केंद्रीय महिला और बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने अमेठी से लेकर संसद में गुस्से में रहने के सवाल समेत कई मुद्दों पर बात की. इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और महिला सशक्तिकरण पर बात की. स्मृति ईरानी ने कहा कि आज हम इतिहास के ऐसे मोड़ पर हैं जब हम एक राष्ट्र के नाते संकल्प ले सकते हैं कि आगे जो मार्ग तराशना है, वो मार्ग कैसा होगा. आज हमारी आर्थिक और समाजिक व्यवस्था स्थिति ऐसी है कि चाहे देश के प्रधानसेवक हों या एक आम नागरिक. दोनों में एक बात की सहमति है कि हिंदुस्तान में एक काबिलियत है कि अब नवभारत के निर्माण के साथ-साथ वो वैश्विक स्तर पर कुछ नई बुलंदियों को, कुछ नई सफलता के शिखर को पा सकते हैं.
अमेठी से चुनाव जीतने के बाद से राहुल गांधी और उनके बीच सियासी प्रतिद्वंदिता पर स्मृति ईरानी ने कहा कि प्रतिद्वंदिता दो समान लोगों के बीच हो सकती है. वो उनकी पार्टी के मालिक हैं और मैं अपनी पार्टी की कार्यकर्ता हूं. दोनों में फर्क है. जहां तक अमेठी की बात है, ये मैं कह सकती हूं कि आज भी वहां रोमांटिसिज्म है गांधी खादनान की विरासत को लेकर कि कोई भी एक बयान कहीं दे देगा और सबको लगेगा अरे.
उन्होंने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव में जब मैं अमेठी लड़ने गई तो मेरे पास प्रचार के लिए सिर्फ 30 दिन से भी कम समय था. ये आज सार्वजनिक कहने में मुझे कोई झिझक नहीं कि उस वक्त उन 30 दिनों में मेरे पास 60 प्रतिशत बूथों पर कोई कार्यकर्ता नहीं था टेबल लगाने के लिए. उस वक्त मुलायम सिंह यादव का एक इंटरव्यू हुआ था आजतक पर. मुलायम सिंह जी ने कहा कि मुझे सोनिया गांधी जी के माध्यम से फोन आया है और कहा गया कि राहुल गांधी की मदद कर दो. एक लाख वोट मैंने ट्रांसफर कर दिया.
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'अगर मुलायम सिंह मदद नहीं करते तो...'
स्मृति ने आगे कहा, जब मैं 2014 में हारी तो फर्क सिर्फ एक लाख 5 हजार वोटों का था. अगर वाकई में मुलायम सिंह यादव जी मदद नहीं करते तो सिर्फ 5 हजार वोटों का फर्क रह गया था. उसके बाद 2019 का चुनाव आया तो किसी सर्वे में यह नहीं कहा गया कि मैं चुनाव जीत रही हूं. 2019 में जब लड़ने गए और 55120 वोटों से जीते. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर वोटों को देखें तो पांच दशक से गांधी खानदान ने जितने वोट पाए- प्रत्येक चुनाव में. उससे ज्यादा वोट मैंने 2019 में हासिल किए. फर्क सिर्फ इतना है कि बीजेपी अकेली लड़ रही थी और गांधी खानदान, सपा-बसपा के समर्थन से चुनाव लड़ रहा था. क्योंकि मैं चाहती हूं कि लोग यह बात समझें.

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