
'राजनीतिक दलों को चाहिए कि दो तरह की लीडरशिप रखें', एक्सपर्ट ने क्यों दी ये सलाह
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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई में वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर एक्सपर्ट ने कहा कि जब इसके पीछे खर्च बचाने के तर्क सुनता हूं तो बहुत दुख होता है. एक्सपर्ट ने ये भी कहा कि गवर्नेंस आदर्श आचार संहिता की वजह से नहीं बाधित होता. उन्होंने इसके लिए राजनीतिक दलों को जिम्मेदार बताया और कहा कि पार्टियों को दो तरह की लीडरशिप रखना चाहिए.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई में वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के अपने-अपने तर्क सामने आए. बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इसे देश के लिए जरूरी बताया और फायदे गिनाए तो वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इसे हॉट एयर बैलून. राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने हालिया लोकसभा चुनाव के साथ जिन राज्यों में चुनाव हुए, उनका उदाहरण देते हुए बताया कि ये कैसे एक दल के लिए फायदेमंद हो सकता है. वहीं, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) के संस्थापक जगदीप एस छोकर ने इसके पीछे खर्च बचाने के तर्क को दुखद बताया.
एडीआर के संस्थापक जगदीप छोकर ने एक देश, एक चुनाव के पीछे खर्च बचाने के तर्क को लेकर सवाल पर कहा कि जब ये सुनता हूं तो बहुत दुख होता है. चुनाव लोकतंत्र की जीवंतता के लिए होते हैं. उन्होंने कहा कि ये चुनाव का मौद्रिक मूल्य तय करने जैसा है. चीपर इलेक्शन लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. गवर्नेंस प्रभावित होने के तर्क पर जगदीप छोकर ने कहा कि जो लोग ये कहते हैं, उनको फिर से आदर्श चुनाव आचार संहिता पढ़ने की जरूरत है. इसमें साफ कहा गया है कि कोई भी ऐसी नई स्कीम लागू नहीं होगी जो चुनाव परिणाम प्रभावित कर सकती हो.
उन्होंने कहा कि हां, गवर्नेंस प्रभावित होता है. लेकिन ऐसा आदर्श चुनाव आचार संहिता की वजह से नहीं होता. छोकर ने कहा कि यह गवर्नेंस इसलिए सफर करता है, क्योंकि किसी राज्य में विधानसभा के चुनाव हों तब भी और निकाय चुनाव हों तब भी, राजनीतिक पार्टियां पूरी लीडरशिप को प्रचार के लिए मैदान में उतार देती हैं. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से गवर्नेंस प्रभावित होता है. एडीआर के संस्थापक ने इसे लेकर राजनीतिक दलों को एक सुझाव भी दिया जिससे गवर्नेंस प्रभावित न हो सके.
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जगदीप छोकर ने कहा कि राजनीतिक दलों को सलाह दूंगा कि दो लीडरशिप रखें. एक लीडरशिप स्टार प्रचारकों की रहे और दूसरी लीडरशिप एग्जीक्यूटिव की जो काम करे. उन्होंने ये भी कहा कि हम इतिहास की बात कर रहे हैं. पांच साल पहले के इतिहास की ही बात कर लें. एडीआर के संस्थापक ने कहा कि 2014 में रुलिंग पार्टी ने एक देश एक चुनाव का वादा किया था. हमने 2018 तक इस पर बहुत रिसोर्सेज खर्च किए और फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी. उन्होंने ये भी कहा कि 2024 के चुनाव से पहले महिला आरक्षण बिल लेकर आए लेकिन उसे कब लागू किया जाएगा, ये नहीं पता है. उसी तरह एक देश एक चुनाव के लागू होने का भी पता नहीं है.
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