योगी 2.0 के पोर्टफोलियो आवंटन पर लगी बीजेपी आलाकमान की मुहर!
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हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिले भारी बहुमत के बावजूद, यूपी के सीएम के हाथ खुले नहीं हैं. योगी के मंत्रिमडल का चयन और उनके विभागों का आवंटन उन्होंने नहीं बल्कि दिल्ली में बैठे लोगों ने किया है.
माना जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान ने जिस तरह योगी आदित्यनाथ की नई सरकार के मंत्रिपरिषद का गठन करने में अंतिम निर्णय लिया, उसी तरह चुने गए मंत्रियों को विभाग आवंटित करने में प्रमुख भूमिका निभाई है.
जो लोग योगी की कार्यशैली को जानते हैं, उनके पास यह मानने का कारण है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिले भारी बहुमत के बावजूद, यूपी के सीएम के हाथ खुले नहीं हैं. यहां तक कि बीजेपी के अन्य प्रमुख नेता भी ये महसूस करते हैं.
लखनऊ में पार्टी के एक शीर्ष नेता का कहना है,'हमारी पार्टी की अगली बड़ी चुनौती 2024 का लोकसभा चुनाव है. जब नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधान मंत्री के रूप में फिर से स्थापित किया जाना है. इसलिए उस चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह स्वाभाविक है कि पार्टी सभी निर्णय लेगी. इसमें क्या गलत है अगर मंत्रियों का चयन और विभागों का आवंटन नई दिल्ली में बैठे बड़े लोग करें.'
यही वजह है कि कुछ पोर्टफोलियो आवंटन से हर कोई हैरान था. जैसे कि दोनों उप मुख्य मंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक को उनकी पसंद के विभाग मिले. पीडब्ल्यूडी मंत्री के रूप में अपना 5 साल का लंबा कार्यकाल करने वाले मौर्य को अब ग्रामीण विकास और उसके संबद्ध विभागों के सभी महत्वपूर्ण उच्च बजट वाले मंत्रालय सौंप दिए गए.
महामारी के दौरान, आम आदमी की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए योगी आदित्यनाथ को कड़े शब्दों में पत्र लिखकर साहस दिखाने वाले बृजेश पाठक को अब स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी विभाग सौंप दिए गए हैं. पाठक न केवल नए स्वास्थ्य मंत्री हैं, बल्कि मेडिकल शिक्षा विभाग को भी संभालेंगे. इसके तहत, वह सरकारी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी मेडिकल कॉलेजों और अन्य शीर्ष चिकित्सा शिक्षा संस्थानों के कामकाज की देखरेख करेंगे. योगी के पिछले शासन में, पाठक के पास कानून मंत्रालय था, जो उतना अहम नहीं था. फिर भी उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ मिलकर अपनी पहचान बनाई.
नए शासन में जिस व्यक्ति को सबसे बड़ा फायदा हुआ है, वह रहे जितिन प्रसाद, जिन्हें लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मिला था. इस निर्णय से पार्टी में काफी नाराज़गी दिखाई दी कयोंकि जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल हुए एक साल से भी कम हुआ है.
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